मिशन शक्ति: भारत की अंतरिक्ष रक्षा में 6 वर्षों की सफलता और भविष्य की योजनाएँ!

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मिशन शक्ति की 6वीं वर्षगांठ: भारत की अंतरिक्ष शक्ति और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम!

अंतरिक्ष आज केवल वैज्ञानिक खोजों और संचार के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक लाभ के लिए भी महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है। विश्व की प्रमुख शक्तियाँ अब केवल भूमि, जल और वायु में ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रही हैं। इस संदर्भ में, मिशन शक्ति भारत का एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने अंतरिक्ष सुरक्षा में देश की शक्ति को प्रमाणित किया।

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27 मार्च 2019 को, भारत ने सफलतापूर्वक एक एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल का परीक्षण किया, जिसमें पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit – LEO) में स्थित एक भारतीय सैटेलाइट को नष्ट कर दिया गया।

इस मिशन ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा ऐसा देश बना दिया जिसने यह क्षमता हासिल की।

अब जब हम इस ऐतिहासिक मिशन की छठी वर्षगांठ मना रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हम इसके विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझें—इसका उद्देश्य, तकनीकी विश्लेषण, अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ।

मिशन शक्ति क्या है?

मिशन शक्ति भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल प्रणाली है। यह प्रणाली विशेष रूप से दुश्मन सैटेलाइट्स को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई थी।

इस मिशन के तहत, एक स्वदेशी रूप से विकसित इंटरसेप्टर मिसाइल का उपयोग किया गया, जिसने मात्र कुछ मिनटों में एक लक्षित सैटेलाइट को नष्ट कर दिया।

यह मिशन न केवल भारत की सैन्य शक्ति को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि देश अब अंतरिक्ष में किसी भी संभावित खतरे से खुद को सुरक्षित रख सकता है।

मिशन शक्ति का उद्देश्य

इस मिशन को लॉन्च करने के पीछे कई महत्वपूर्ण उद्देश्य थे:

1. अंतरिक्ष में आत्मरक्षा क्षमता विकसित करना

भविष्य में युद्ध केवल भूमि, जल और वायु तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अंतरिक्ष में भी होगा।

मिशन शक्ति के माध्यम से, भारत ने यह साबित कर दिया कि वह किसी भी संभावित अंतरिक्ष-आधारित हमले का सामना करने के लिए तैयार है।

2. राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना

आज के समय में, कई महत्वपूर्ण गतिविधियाँ सैटेलाइट्स के माध्यम से संचालित होती हैं, जैसे संचार, नेविगेशन, जासूसी, और सैन्य निगरानी।

यदि कोई शत्रु देश भारत के सैटेलाइट्स को निष्क्रिय कर देता है, तो इससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।

इस मिशन से यह स्पष्ट हो गया कि भारत अपने अंतरिक्ष संसाधनों की सुरक्षा करने में सक्षम है।

3. भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करना

मिशन शक्ति पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित एक अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित था।

इससे भारत की वैज्ञानिक और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सिद्ध होती है।

4. अंतरराष्ट्रीय शक्ति संतुलन में भारत की भागीदारी

अमेरिका, रूस और चीन के पास पहले से ही ASAT क्षमताएँ थीं।

भारत इस मिशन के सफल परीक्षण के साथ ही स्पेस सुपरपावर क्लब में शामिल हो गया।

5. भविष्य की स्पेस वॉरफेयर रणनीति को मजबूत करना

यह मिशन भारत के भविष्य के अंतरिक्ष रक्षा कार्यक्रमों की नींव बना।

भविष्य में भारत सैटेलाइट सुरक्षा, स्पेस सर्विलांस, और एंटी-सैटेलाइट डिफेंस पर अधिक ध्यान केंद्रित करेगा।

मिशन शक्ति: भारत की अंतरिक्ष रक्षा में 6 वर्षों की सफलता और भविष्य की योजनाएँ!
मिशन शक्ति: भारत की अंतरिक्ष रक्षा में 6 वर्षों की सफलता और भविष्य की योजनाएँ!
मिशन शक्ति की तकनीकी विशेषताएँ

1. एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल प्रणाली

यह मिसाइल DRDO द्वारा विकसित की गई थी।

यह एक “काइनेटिक किल” तकनीक पर आधारित थी, जिसमें कोई विस्फोटक नहीं था।

मिसाइल ने सीधे लक्ष्य से टकराकर उसे नष्ट कर दिया।

2. टारगेटेड सैटेलाइट

परीक्षण के दौरान माइक्रोसेट-R नामक एक भारतीय सैटेलाइट को लक्षित किया गया।

यह सैटेलाइट पृथ्वी से 300 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित था।

3. इंटरसेप्टर मिसाइल की गति और सटीकता

मिसाइल को लॉन्च करने के बाद मात्र 3 मिनट में लक्ष्य को भेद दिया गया।

इसकी गति ध्वनि की गति से कई गुना अधिक थी।

मिशन शक्ति का वैश्विक प्रभाव

1. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिका

अमेरिका ने भारत की तकनीकी प्रगति को स्वीकार किया।

हालाँकि, उसने “स्पेस डेब्रिस” (अंतरिक्ष मलबे) को लेकर चिंता जताई।

रूस

रूस ने भारत की इस उपलब्धि को सकारात्मक रूप में देखा और इसे रक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत कदम बताया।

चीन

चीन ने भारत के इस परीक्षण पर सतर्क प्रतिक्रिया दी और कहा कि अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ को नियंत्रित किया जाना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र ने इस मिशन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी देशों को अंतरिक्ष में शांति बनाए रखनी चाहिए।

भारत ने स्पष्ट किया कि यह परीक्षण आत्मरक्षा के उद्देश्य से किया गया था और इसका कोई आक्रामक उद्देश्य नहीं था।

स्पेस डेब्रिस पर चिंता और भारत का जवाब

मिशन शक्ति के बाद, कई देशों ने स्पेस डेब्रिस को लेकर चिंता जताई।

भारत का जवाब:

यह परीक्षण LEO (Low Earth Orbit) में किया गया था, जहाँ वातावरण के कारण अधिकतर मलबा कुछ हफ्तों में जलकर नष्ट हो जाता है।

भारत ने यह सुनिश्चित किया कि यह परीक्षण जिम्मेदारीपूर्वक किया जाए और कोई दीर्घकालिक मलबा न छोड़ा जाए।

भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

1. स्पेस डिफेंस सिस्टम का विकास

भारत अब अपने सैटेलाइट्स की सुरक्षा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

“स्पेस सर्विलांस नेटवर्क” विकसित करने की योजना बनाई जा सकती है।

2. ASAT क्षमता को और मजबूत करना

भारत भविष्य में मोबाइल-लॉन्च प्लेटफॉर्म और अधिक उन्नत एंटी-सैटेलाइट मिसाइलों का विकास कर सकता है।

3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग

भारत को अपने स्पेस डिफेंस कार्यक्रमों को संतुलित रखते हुए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बनाए रखना होगा।

4. स्पेस डेब्रिस को नियंत्रित करना

भारत को ऐसे नए समाधान विकसित करने होंगे, जिससे अंतरिक्ष में मलबा कम से कम उत्पन्न हो।

मिशन शक्ति के बाद भारत में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तन

1. भारत का बढ़ता अंतरिक्ष सैन्यकरण

मिशन शक्ति के बाद भारत ने अंतरिक्ष सुरक्षा रणनीति को और मजबूत किया। इसके तहत कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए:

DIA (Defence Intelligence Agency) और DRDO के तहत स्पेस वारफेयर प्रोग्राम का विस्तार

“स्पेस कमांड” की स्थापना – एक ऐसा केंद्र, जो अंतरिक्ष में भारत की सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों की निगरानी और रणनीतिक योजनाएँ तैयार करता है।

नई पीढ़ी की ASAT मिसाइलों का विकास

2. DRDO की नई अंतरिक्ष रक्षा परियोजनाएँ

मिशन शक्ति की सफलता के बाद DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने कई नई परियोजनाओं पर कार्य शुरू किया:

डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) – लेजर आधारित हथियार जो भविष्य में अंतरिक्ष युद्ध में प्रभावी हो सकते हैं।

“स्पेस स्टेल्थ टेक्नोलॉजी” – जो भारत के सैटेलाइट्स को दुश्मनों से छुपाने और सुरक्षित रखने में मदद करेगी।

“स्पेस सर्विलांस एंड ट्रैकिंग सिस्टम” – जिससे भारत को पृथ्वी की कक्षा में किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने में मदद मिलेगी।

3. भारत की “स्पेस पॉलिसी” में बदलाव

मिशन शक्ति के बाद भारत ने अपनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति में कई बदलाव किए:

अंतरिक्ष में शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग

निजी कंपनियों को अंतरिक्ष रक्षा परियोजनाओं में भाग लेने की अनुमति

4. अन्य देशों के साथ बढ़ा सहयोग

अमेरिका और फ्रांस के साथ अंतरिक्ष रक्षा तकनीक में सहयोग बढ़ा।

रूस और इस्राइल के साथ सैटेलाइट सुरक्षा तकनीक पर संयुक्त परियोजनाएँ शुरू हुईं।

मिशन शक्ति: भारत की अंतरिक्ष रक्षा में 6 वर्षों की सफलता और भविष्य की योजनाएँ!
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अंतरिक्ष युद्ध का भविष्य और भारत की तैयारी

1. अंतरिक्ष युद्ध का नया दौर

अंतरिक्ष में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए कई देश नए तरह के हथियार और रक्षा प्रणालियाँ विकसित कर रहे हैं।

अमेरिका और चीन ने हाइपरसोनिक वेपन सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है।

रूस ने “Co-Orbital ASAT” तकनीक पर शोध किया, जो सीधे दुश्मन सैटेलाइट को पकड़कर नष्ट कर सकती है।

भारत को इन चुनौतियों के मद्देनजर अपनी स्पेस डिफेंस स्ट्रेटेजी को लगातार अपग्रेड करना होगा।

2. भारत की आगामी योजनाएँ

भारत अपनी अंतरिक्ष सुरक्षा और रक्षा क्षमता को और मजबूत करने के लिए कई नई योजनाओं पर कार्य कर रहा है:

“गुप्त सैटेलाइट प्रोग्राम” – जिससे भारत के महत्वपूर्ण सैटेलाइट्स को छुपाया जा सके।

“स्पेस-लेजर डिफेंस सिस्टम” – जो संभावित दुश्मन सैटेलाइट्स को निष्क्रिय कर सकता है।

“स्पेस सर्विलांस एंड रिकॉनेसेन्स (ISR) सिस्टम” – जो भारत को अंतरिक्ष में दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करेगा।

3. भारत का “स्पेस कॉम्बैट ड्रिल” कार्यक्रम

भारत ने हाल ही में “स्पेस वॉर एक्सरसाइज” शुरू की, जिसमें अंतरिक्ष में संभावित खतरों का विश्लेषण और सुरक्षा अभ्यास किया जाता है।

इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और DRDO मिलकर काम कर रहे हैं।

मिशन शक्ति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

1. मिशन शक्ति पूरी तरह स्वदेशी था – भारत ने इस प्रोजेक्ट के लिए किसी भी विदेशी तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया।

2. मिशन का कोडनेम पूरी तरह से गोपनीय था – इसकी जानकारी केवल शीर्ष रक्षा और वैज्ञानिक अधिकारियों को थी।

3. टेस्टिंग के लिए चुनी गई सैटेलाइट पहले से ही मिशन के लिए निर्धारित थी – भारत ने किसी भी अन्य देश की सैटेलाइट को नुकसान नहीं पहुँचाया।

4. इंटरसेप्टर मिसाइल ने सैटेलाइट को सीधा हिट किया – यह कोई रॉकेट विस्फोट नहीं था, बल्कि एक “डायरेक्ट हिट” था।

5. भारत दुनिया का चौथा देश बना जिसने यह क्षमता प्राप्त की – इससे पहले केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास ही यह तकनीक थी।

मिशन शक्ति और “आत्मनिर्भर भारत”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के तहत मिशन शक्ति एक प्रमुख उपलब्धि है। इससे यह साबित होता है कि भारत अब रक्षा और अंतरिक्ष सुरक्षा में आत्मनिर्भर हो रहा है।

स्वदेशी रक्षा तकनीकों का विकास

DRDO और ISRO का सहयोग बढ़ा

निजी भारतीय कंपनियों को अंतरिक्ष रक्षा में भाग लेने का मौका मिला

मिशन शक्ति के दीर्घकालिक प्रभाव और भारत की रणनीतिक बढ़त

मिशन शक्ति की छठी वर्षगांठ सिर्फ एक उपलब्धि का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्यों को समझने और उन्हें और सशक्त बनाने का भी अवसर है। इस मिशन ने भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा नीति, वैश्विक कूटनीति, वैज्ञानिक अनुसंधान और रक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं।

अब हम विस्तार से उन प्रभावों पर चर्चा करेंगे, जो मिशन शक्ति ने भारत और दुनिया पर डाले हैं।

1. भारत की अंतरिक्ष रक्षा नीति का पुनर्निर्धारण

मिशन शक्ति से पहले भारत की अंतरिक्ष नीति मुख्य रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों पर केंद्रित थी, लेकिन अब इसमें सुरक्षा और आत्मरक्षा का भी महत्वपूर्ण स्थान बन गया है। इसके तहत कई नए बदलाव किए गए हैं:

(क) अंतरिक्ष में आत्मरक्षा की मान्यता

पहले भारत की अंतरिक्ष नीति में सैन्य उपयोग का उल्लेख कम था, लेकिन अब यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है कि अगर कोई दुश्मन भारत के सैटेलाइट सिस्टम पर हमला करता है, तो भारत के पास आत्मरक्षा का अधिकार होगा।

(ख) “स्पेस डिफेंस डिवीजन” की स्थापना

भारत सरकार ने DIA (Defence Intelligence Agency) के तहत एक नया “स्पेस डिफेंस डिवीजन” स्थापित किया है, जो अंतरिक्ष में भारत के हितों की रक्षा के लिए विशेष रूप से काम करेगा।

(ग) ASAT सिस्टम का उन्नयन

मिशन शक्ति में इस्तेमाल की गई PDV Mk-II इंटरसेप्टर मिसाइल की क्षमता को और विकसित किया गया है।

अब भारत Co-Orbital ASAT, Directed Energy Weapons (DEW), और Hypersonic Missile Defence पर भी काम कर रहा है।

2. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की स्थिति मजबूत हुई

मिशन शक्ति के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत हुई है। अब भारत को अंतरिक्ष रक्षा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में देखा जाता है।

(क) संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका

भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष में सैन्य उपयोग केवल आत्मरक्षा तक सीमित रहेगा।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव रखा कि सभी देश स्पेस वॉरफेयर से बचें और पारदर्शिता बनाए रखें।

(ख) QUAD और अन्य गठबंधनों में भारत की सक्रियता

मिशन शक्ति के बाद भारत को QUAD (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत) के अंतरिक्ष रक्षा कार्यक्रम में अधिक सक्रिय रूप से शामिल किया गया।

भारत ने अमेरिका और फ्रांस के साथ मिलकर स्पेस सिक्योरिटी पर संयुक्त अभ्यास शुरू किया।

3. नई अंतरिक्ष तकनीकों का विकास

मिशन शक्ति के बाद भारत ने कई नई अंतरिक्ष तकनीकों पर अनुसंधान शुरू किया, जिससे भारतीय रक्षा प्रणाली और मजबूत हुई।

(क) स्पेस सर्विलांस और ट्रैकिंग (SST) सिस्टम

भारत ने स्वदेशी स्पेस सर्विलांस नेटवर्क तैयार किया, जो पृथ्वी की कक्षा में किसी भी संभावित खतरे की पहचान कर सकता है।

यह प्रणाली दुश्मन के गुप्त सैटेलाइट्स और ASAT हथियारों का भी पता लगा सकती है।

(ख) हाइपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल

भारत अब हाइपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल विकसित कर रहा है, जो भविष्य में स्पेस वारफेयर में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

(ग) स्पेस स्टेल्थ टेक्नोलॉजी

यह तकनीक भारत के सैटेलाइट्स को रडार और अन्य ट्रैकिंग सिस्टम से छुपाने में मदद करेगी।

इससे भारत के संचार और जासूसी सैटेलाइट्स अधिक सुरक्षित रहेंगे।

4. भविष्य की संभावनाएँ: भारत का “स्पेस वॉरफेयर रोडमैप”

मिशन शक्ति सिर्फ एक शुरुआत थी। भारत अब अंतरिक्ष में आत्मरक्षा और शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए कई नई योजनाएँ बना रहा है।

(क) “स्पेस कमांड” की स्थापना

भारत अपने स्वतंत्र स्पेस कमांड सेंटर की स्थापना कर रहा है, जो ISRO और DRDO के साथ मिलकर काम करेगा।

यह केंद्र अंतरिक्ष में संभावित खतरों का विश्लेषण और रक्षा रणनीतियाँ तैयार करेगा।

(ख) “स्मार्ट सैटेलाइट डिफेंस सिस्टम”

भारत अब ऐसे सैटेलाइट्स विकसित कर रहा है, जो आत्मरक्षा प्रणाली से लैस होंगे और किसी भी संभावित खतरे का जवाब दे सकेंगे।

ये सैटेलाइट्स स्वचालित रूप से दुश्मन के हमलों को पहचानने और जवाब देने में सक्षम होंगे।

(ग) “अंतरिक्ष युद्धाभ्यास (Space War Games)”

भारत ने हाल ही में “स्पेस वॉर गेम्स” की शुरुआत की, जिसमें अंतरिक्ष में संभावित हमलों के खिलाफ भारतीय रणनीति का परीक्षण किया जा रहा है।

यह अभ्यास ISRO, DRDO, भारतीय वायुसेना और नेवी के सहयोग से किया जा रहा है।

5. मिशन शक्ति के बाद भारतीय रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता

मिशन शक्ति के बाद भारत ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं।

(क) DRDO और ISRO का सहयोग

अब DRDO और ISRO मिलकर भारत की स्पेस डिफेंस टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं।

इससे भारत को अपने सैटेलाइट्स और इंटरसेप्टर मिसाइल्स को स्वदेशी रूप से विकसित करने में मदद मिल रही है।

(ख) निजी क्षेत्र की भागीदारी

अब भारत की निजी कंपनियाँ भी अंतरिक्ष रक्षा क्षेत्र में योगदान दे रही हैं।

कई स्टार्टअप्स और कंपनियाँ स्पेस सर्विलांस, ट्रैकिंग और सैटेलाइट डिफेंस सिस्टम पर काम कर रही हैं।

(ग) “मेक इन इंडिया” और स्पेस टेक्नोलॉजी

मिशन शक्ति ने “मेक इन इंडिया” पहल को मजबूत किया और भारत को स्पेस डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाया।

अब भारत में रडार सिस्टम, मिसाइल टेक्नोलॉजी, और सैटेलाइट प्रोटेक्शन सिस्टम का उत्पादन हो रहा है|

निष्कर्ष: मिशन शक्ति की छठी वर्षगांठ और भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा का भविष्य

मिशन शक्ति भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी जिसने देश को एक “स्पेस सुपरपावर” के रूप में स्थापित किया। इस मिशन ने न केवल भारत की अंतरिक्ष रक्षा क्षमता को सिद्ध किया, बल्कि देश को भविष्य के अंतरिक्ष युद्धों के लिए तैयार होने का मार्ग भी दिखाया।

आज, जब हम इस ऐतिहासिक मिशन की छठी वर्षगांठ मना रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हम आने वाले वर्षों में अपनी अंतरिक्ष रणनीति को और मजबूत करें।

भविष्य के लिए मुख्य लक्ष्य:

स्पेस डिफेंस सिस्टम को और उन्नत बनाना

अंतरिक्ष में आत्मरक्षा क्षमता को बढ़ाना

संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बनाए रखना

स्पेस वॉरफेयर के संभावित खतरों का अध्ययन और नई तकनीकों पर अनुसंधान करना

भारत ने मिशन शक्ति के माध्यम से दुनिया को दिखा दिया कि हम न केवल भूमि, जल और वायु में बल्कि अंतरिक्ष में भी अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं। यह मिशन भारत की वैज्ञानिक शक्ति, रणनीतिक सोच और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

“मिशन शक्ति सिर्फ एक परीक्षण नहीं था, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा में एक नए युग की शुरुआत थी!”


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Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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