राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान: जाने कैसे पहुँचें, क्या देखें और कब जाएँ
प्रस्तावना
भारत के राष्ट्रीय उद्यान केवल हरित क्षेत्र नहीं हैं, बल्कि वे हमारी जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक भी हैं। आंध्र प्रदेश के कडप्पा ज़िले में स्थित राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान इसका एक अनोखा उदाहरण है। यह उद्यान भले ही क्षेत्रफल में छोटा हो, लेकिन यहाँ की प्राकृतिक संपदा, वन्य जीव-जंतु और संरक्षित पर्यावरण इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बनाते हैं।
उद्यान का इतिहास और नामकरण
राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी।
प्रारंभ में इसका नाम रामेश्वरम राष्ट्रीय उद्यान रखा गया।
बाद में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की स्मृति में इसका नाम बदलकर “राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान” कर दिया गया।
इस उद्यान को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देने का मुख्य उद्देश्य था – यहाँ की अनूठी जैव विविधता, दुर्लभ पक्षी और वन्य जीवों का संरक्षण तथा स्थानीय पारिस्थितिकी को बचाना।
भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल
यह उद्यान आंध्र प्रदेश के कडप्पा ज़िले में स्थित है।
इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 2.4 वर्ग किलोमीटर है।
यह क्षेत्रफल भले ही छोटा हो, लेकिन यहाँ के पारिस्थितिकी तंत्र में वनस्पति और जीव-जगत की विविधता अद्भुत है।
यह उद्यान पेन्या नदी के उत्तरी तट पर स्थित है, जो इसे प्राकृतिक जल-स्रोत प्रदान करती है।
स्थलाकृतिक विशेषताएँ
यहाँ की मिट्टी मुख्यतः रेतीली (Sandy Soil) है।
वनस्पति की संरचना उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ी वनों (Tropical Dry Deciduous Forests) से बनी है।
आसपास का इलाका गर्म और शुष्क जलवायु वाला है, इसलिए यहाँ की वनस्पति और जीव-जंतु कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए अनुकूलित हैं।
जलवायु और मौसम
गर्मी (मार्च–जून): तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है।
मानसून (जुलाई–सितंबर): मध्यम वर्षा, जो पेन्या नदी और स्थानीय जल स्रोतों को पोषण देती है।
सर्दी (अक्टूबर–फरवरी): तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। यह समय पर्यटन के लिए सबसे उपयुक्त है।

वनस्पति (Flora)
इस उद्यान की सबसे बड़ी खासियत है यहाँ की विविध वनस्पति प्रजातियाँ।
1. प्रमुख वृक्ष
शीशम (Dalbergia sissoo)
ग्रीविया (Grewia villosa)
जिमनेमा (Gymnema sylvestre)
2. औषधीय पौधे
यहाँ कई प्रकार की औषधीय प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनका उपयोग स्थानीय लोग परंपरागत चिकित्सा में करते हैं।
3. झाड़ियाँ और घास
सूखी जलवायु के अनुकूल झाड़ियाँ और घास की प्रजातियाँ भी यहाँ प्रमुख हैं।
जीव-जगत (Fauna)
पक्षी (Birds)
मोर (Peacock)
तोते (Parakeets)
एग्रेट्स (Egrets)
छोटी बगुला प्रजातियाँ
अन्य लगभग 50 प्रकार की पक्षी प्रजातियाँ
स्तनधारी (Mammals)
चीतल (Spotted Deer)
नेवला (Common Mongoose)
खरगोश (Black-napped Hare)
सरीसृप (Reptiles)
रसेल वाइपर (Russell’s Viper)
स्किंक (Common Skink)
अर्थ बोआ (Earth Boa)
उभयचर (Amphibians)
बुलफ्रॉग
कॉमन इंडियन टोड
कीट और तितलियाँ
अनेक प्रकार की तितलियाँ
घासफूदक (Grasshoppers)
मकड़ियाँ और बिच्छू
संरक्षण और पर्यावरणीय महत्व
राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान को पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र माना गया है।
2017 में इसके आसपास के 500 मीटर क्षेत्र को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित किया गया।
इसका उद्देश्य है – शहरीकरण, प्रदूषण और मानवीय गतिविधियों से उद्यान की रक्षा करना।
संरक्षण के उपायों में शामिल हैं:
शिकार और अवैध कटाई पर रोक
स्थानीय समुदाय की भागीदारी
वन्यजीव संरक्षण अभियान
जैव विविधता की निगरानी
पर्यटन आकर्षण (Tourism)
देखने योग्य चीजें
1. नेचर ट्रेल्स: यहाँ “राजीव नेशनल पार्क लूप” नामक एक 2.1 किलोमीटर लंबा पैदल मार्ग है।
2. बर्ड वॉचिंग: सर्दियों में विभिन्न प्रवासी पक्षी यहाँ देखे जा सकते हैं।
3. वन्यजीव अवलोकन: हिरण, खरगोश और नेवला देखने को मिल सकते हैं।
यात्रा का सर्वोत्तम समय
अक्टूबर से मार्च के बीच आना सबसे अच्छा है।
पहुँच (How to Reach)
सड़क मार्ग: कडप्पा से टैक्सी या निजी वाहन द्वारा पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग: कडप्पा रेलवे स्टेशन निकटतम है।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा कडप्पा या तिरुपति है।
उद्यान का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
स्थानीय लोग इस क्षेत्र को केवल प्राकृतिक संपदा ही नहीं मानते बल्कि अपनी संस्कृति और परंपरा से भी जोड़ते हैं।
यहाँ की वनस्पति और औषधीय पौधे ग्रामीण जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं।
पक्षियों और वन्यजीवों की मौजूदगी स्थानीय पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में सहायक है।

राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है?
यह उद्यान आंध्र प्रदेश के कडप्पा ज़िले में पेन्या नदी के उत्तरी तट पर स्थित है।
2. इस उद्यान की स्थापना कब हुई थी?
इस उद्यान को वर्ष 2005 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था।
3. उद्यान का क्षेत्रफल कितना है?
राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 2.4 वर्ग किलोमीटर है।
4. यहाँ किस प्रकार के वन पाए जाते हैं?
यहाँ उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ी वन (Tropical Dry Deciduous Forests) पाए जाते हैं।
5. इस उद्यान में कौन-कौन से प्रमुख वनस्पति प्रजातियाँ हैं?
यहाँ Dalbergia sissoo (शीशम), Grewia villosa, और Gymnema sylvestre जैसी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
6. यहाँ कौन-कौन से पक्षी देखे जा सकते हैं?
मोर, तोते, एग्रेट्स, और छोटी बगुला प्रजातियों सहित लगभग 50 पक्षी प्रजातियाँ यहाँ पाई जाती हैं।
7. इस उद्यान में प्रमुख स्तनधारी कौन-कौन से हैं?
चितल (Spotted Deer), नेवला (Common Mongoose) और खरगोश (Black-napped Hare) यहाँ देखने को मिलते हैं।
8. सरीसृप और उभयचर कौन-कौन से पाए जाते हैं?
रसेल वाइपर, स्किंक, अर्थ बोआ, बुलफ्रॉग और कॉमन इंडियन टोड यहाँ के प्रमुख सरीसृप और उभयचर हैं।
9. इस उद्यान को इको-सेंसिटिव ज़ोन कब घोषित किया गया?
वर्ष 2017 में इसके आसपास के 500 मीटर क्षेत्र को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित किया गया।
10. इस उद्यान की यात्रा का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
अक्टूबर से मार्च तक का समय पर्यटन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
11. यहाँ पर्यटक कौन-कौन सी गतिविधियाँ कर सकते हैं?
पर्यटक यहाँ नेचर ट्रेल्स, बर्ड वॉचिंग और वन्यजीव अवलोकन जैसी गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
12. इस उद्यान तक पहुँचने के लिए निकटतम शहर कौन सा है?
कडप्पा शहर निकटतम प्रमुख शहर है, जहाँ से सड़क और रेल मार्ग से उद्यान पहुँचा जा सकता है।
13. क्या उद्यान के भीतर ठहरने की सुविधा उपलब्ध है?
नहीं, उद्यान के भीतर ठहरने की सुविधा नहीं है। इसके लिए पर्यटकों को कडप्पा शहर में ही होटल या गेस्ट हाउस का उपयोग करना पड़ता है।
14. राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान क्यों महत्वपूर्ण है?
यह उद्यान अपनी सीमित क्षेत्रफल में जैव विविधता की समृद्धता, स्थानीय औषधीय वनस्पति, और वन्यजीव संरक्षण के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान न केवल आंध्र प्रदेश की प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भले ही इसका क्षेत्रफल केवल 2.4 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन इस छोटे से क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ी वन, विविध प्रकार की वनस्पति, औषधीय पौधे, पक्षियों और स्तनधारियों की अनोखी प्रजातियाँ उपस्थित हैं।
यह उद्यान विशेष रूप से उन शोधकर्ताओं, प्रकृति प्रेमियों और इको‑टूरिस्ट्स के लिए महत्वपूर्ण है जो सीमित क्षेत्र में जैविक विविधता का अध्ययन करना या वन्य जीवन के प्राकृतिक व्यवहार को देखना चाहते हैं।
यहाँ पाए जाने वाले पक्षी जैसे मोर, तोते, एग्रेट्स, और अन्य लगभग 50 प्रजातियाँ, वनस्पति की औषधीय और आर्थिक उपयोगिता, और स्तनधारी एवं सरीसृपों की विविधता इसे अनोखा बनाती है।
इसके अलावा, उद्यान की स्थापना का उद्देश्य केवल संरक्षण ही नहीं था, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए स्थायी विकास, पर्यावरणीय शिक्षा और पर्यटन के माध्यम से आर्थिक अवसर भी प्रदान करना था।
2017 में घोषित 500 मीटर का इको-सेंसिटिव ज़ोन और वन विभाग की सक्रिय निगरानी इस उद्यान को मानव गतिविधियों और प्रदूषण से सुरक्षित रखने में मदद करती है।
पर्यटन दृष्टि से भी यह उद्यान महत्वपूर्ण है। “राजीव नेशनल पार्क लूप” जैसी ट्रेल्स, पक्षी दर्शन, वन्यजीव अवलोकन और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अद्वितीय अनुभव प्रदान करती हैं। सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च के बीच है, जब मौसम सुहावना होता है और वन्यजीव अधिक सक्रिय होते हैं।
राजीव गाँधी उद्यान की महत्वता केवल पर्यावरण और पर्यटन तक सीमित नहीं है। यह स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली के लिए भी अहम है। यहाँ की वनस्पति और औषधीय पौधे स्थानीय लोगों के जीवन में परंपरागत चिकित्सा और आर्थिक संसाधन के रूप में कार्य करते हैं।
अंततः, राजीव गाँधी (रामेश्वरम) राष्ट्रीय उद्यान एक ऐसा स्थल है जो प्रकृति की सुंदरता, जैव विविधता, और संरक्षण प्रयासों का समन्वय दर्शाता है। यह उद्यान हमें यह याद दिलाता है कि छोटे क्षेत्र में भी प्राकृतिक विविधता और जीवन के संतुलन को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।
यदि सही ढंग से संरक्षित किया जाए और लोगों को जागरूक किया जाए, तो यह उद्यान आने वाली पीढ़ियों के लिए न केवल शिक्षा और मनोरंजन का स्रोत बन सकता है, बल्कि जैविक विविधता के संरक्षण का आदर्श उदाहरण भी बन सकता है।
