क्या है स्मार्ट सिटी मिशन ?
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Toggleबात करें मोदी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट है इस प्रोजेक्ट का मोदी सरकार ने साल 2015 में ऐलान किया था इस प्रोजेक्ट के तहत सरकार का एक कारण था कि भारत के कुल 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा .

मोदी सरकार ने साल 2015 में सिर्फ इस योजना का ऐलान किया था और फिर इस सरकार ने 3 साल के भीतर कुल 100 शहरों का चयन किया जिन्हें स्मार्ट सिटी बनाना था
स्मार्ट सिटी बनाने का क्या मानदंड है ?
स्मार्ट सिटी बनने के लिए पर्याप्त वाटर सप्लाई , और 24 घंटे बिजली आपूर्ति गरीबों को आवास किफायती आवास और बच्चे बुजुर्गों और महिलाओं को सुरक्षा की गारंटी और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छे अस्पताल अब यह वे पैरामीटर है जो किसी स्मार्ट सिटी को डिफाइन करते हैं.
भारत सरकार की एक यह भी मनसा थी कि वह नई स्मार्ट सिटी का निर्माण नहीं करेगी हमारे भारत में इस प्रोजेक्ट के जरिए जो शहर पहले से ही यहां पर मौजूद है और उनकी सुविधाओं को ज्यादा बेहतर कर लोगों के अच्छे जीवन स्तर पर सही करने का काम किया जाएगा |
स्मार्ट सिटी मिशन के लिए बजट?
भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन के लिए इस बजट में 48000 करोड रुपए निकाले थे और इस मिशन के तहत यह कहा गया था कि हर शहर को 100 करोड रुपए हर साल मिलेंगे इस मिशन के लिए पैसा खर्च करने का तरीका बहुत ही सिंपल था भारत सरकार ने Centrally Sponsored Scheme ( CSS ) यह माना था और केंद्र सरकार तो अपनी ओर से पैसा दे रही थी.

इस मिशन में उतना ही पैसा राज्य/ULB को भी देना पड़ा, और ऐसे में हर सिटी को स्मार्ट बनने के लिए ज्यादा बड़ी रकम का इंतजाम भारत सरकार ने कराया था
स्मार्ट सिटी बनाने की रफ्तार हुई धीमी?
भारत सरकार का यह मिशन जमीन पर दिखाना शुरू हुआ लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी थी भारत सरकार ने इस मिशन की वजह से इसका समय दो बार आगे बढ़ाया गया पहले तो मोदी सरकार यह कह रही थी कि 100 स्मार्ट सिटी बनाने का सपने को हम जून 2021 तक पूरा कर देंगे.
अब इस मिशन का समय 2024 तक आ चुका है लेकिन 2024 तक भी यह सपना पूरा नहीं हुआ और देश की संसद में इस स्मार्ट सिटी को लेकर एक रिपोर्ट पिछले साल फरवरी में पेश की गई उसे रिपोर्ट ने पैरामीटर पर सरकार का उत्साह बढ़ाया और कुछ ऐसे मामले भी सामने आए जिसमें समान रफ्तार से विकास नहीं किया जा रहा.
इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रोजेक्ट 7804 भारत सरकार ने पूरे कर दिए इन प्रोजेक्ट पर कुल 1.8 लाख करोड रुपए खर्च हुए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट 72% तो अप्रैल 2023 में पूरे कर दिए.Click here
यह प्रोजेक्ट कहीं 90 फ़ीसदी तो कहीं 10 फ़ीसदी ?
पार्लियामेंट स्टैंडिंग कमेटी ने यह बताया कि 100 से 68 स्मार्ट सिटी ऐसी है जो कि उनके टारगेट पूरे नहीं हो पा रहे और कई ऐसे शहर है जिनका प्रदर्शन बिल्कुल बेकार रहा उदाहरण के तौर पर हमें यह पता चला है की वाराणसी उदयपुर आगरा जैसे शहरों में 90% स्मार्ट सिटी मिशन के काम पूरे हुए.

वहीं पर फरीदाबाद शिलोंग में 10% काम भी पूरे नहीं हुए और कुछ जानकारी सामने आई जैसे गैंगटोक, अटल नगर, शिलांग, सिलवासा, ईटानगर, पुडुचेरी, सहारनपुर और पोर्ट ब्लेयर ने अभी तक क्रमशः 16%, 23%, 24%, 28%, 31%, 32%, 35% और 39% परियोजनाएं पूरी हो पाई हैं।
इस मिशन में रफ्तार धीमी कहां हो रही चूक ?
10 शहरों के 400 प्रोजेक्ट वर्तमान में ऐसे चल रहे हैं जो की जून 2024 को मिस कर दिया और वहां के एक्सपर्ट यह बता रहे हैं कि उनकी रफ्तार धीमी कई कारणों हुई है ओर जिन प्रोजेक्ट को चुना जा रहा है वे प्रोजेक्ट सही नहीं है और इसके ऊपर केंद्र सरकार और राज्य सरकार इनके बीच के तालमेल सही नहीं है .
इनमें ऐसा देखा गया कि प्राइवेट सेक्टर वाले लोग बिल्कुल दिलचस्पी नहीं दिख रहे आने वाले समय ऐसे में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में चुनौतियां और ज्यादा आने वाली है सरकार के लिए यह चिंता का बड़ा सबब हो सकता है कि सिर्फ 6 फ़ीसदी प्रोजेक्ट PPP मॉडल के जरिए हुए हैं.
PPP मॉडल का मतलब – पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और इन सरकारी परियोजनाओं में प्राइवेट कंपनियां भी निवेश करती है और स्मार्ट सिटी को लेकर यह तय हुआ कि 21% प्रोजेक्ट PPP मॉडल द्वारा फंडेड किए जाएंगे और यह बताने के लिए उनकी रफ्तार बिल्कुल सुस्त चल रही है.Read more..
इसका मतलब यह है कि मोदी सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत विकास कार्य जरूर पूरा किया और कुछ शहरों में शानदार प्रदर्शन भी किया ऐसे में स्मार्ट सिटी मिशन के लिए सपना कोसों दूर दिखाई देते हैं और यही वजह है कि आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार स्मार्ट सिटी मिशन का जिक्र नहीं कर रही |
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