हर शिखर तिरंगा: 8,586 मीटर की ऊंचाई पर गूंजा भारत, जानिए इस मिशन के हीरो कौन हैं
परिचय:
18 मई 2025 को भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन रहा जब अरुणाचल प्रदेश के दिरांग स्थित National Institute of Mountaineering and Adventure Sports (NIMAS) की एक टीम ने भारत में पहली बार दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी माउंट कंचनजंघा (8,586 मीटर) को सफलतापूर्वक फतेह किया।
यह उपलब्धि ‘हर शिखर तिरंगा’ अभियान के अंतर्गत प्राप्त की गई, जिसका उद्देश्य भारत के पर्वतारोहण इतिहास में देशभक्ति और साहस का समावेश करना है।
अभियान का नेतृत्व:
इस ऐतिहासिक अभियान का नेतृत्व भारतीय सेना के कर्नल रणवीर सिंह जम्वाल (Col. Ranveer Singh Jamwal) ने किया, जो स्वयं एक अनुभवी पर्वतारोही हैं और 50 से अधिक शिखरों को फतेह कर चुके हैं।
उनकी अगुवाई में यह टीम कंचनजंघा जैसी कठिन और खतरनाक चोटी पर सफलतापूर्वक पहुंची।
‘हर शिखर तिरंगा’ अभियान क्या है?
‘हर शिखर तिरंगा’ अभियान का उद्देश्य देश की प्रमुख पर्वत चोटियों पर भारतीय तिरंगे को फहराकर राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाना है।
यह अभियान युवाओं में साहस, देशभक्ति और एडवेंचर स्पिरिट को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है। इसका मकसद यह भी है कि भारत पर्वतारोहण के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभरे।
कंचनजंघा: एक चुनौतीपूर्ण शिखर
कंचनजंघा भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित है और हिमालय की तीसरी सबसे ऊँची चोटी मानी जाती है। इसकी ऊँचाई 8,586 मीटर है और यह पर्वतारोहण के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।
खराब मौसम, बर्फीले तूफान और ऑक्सीजन की कमी जैसी चुनौतियाँ इसे और कठिन बना देती हैं। ऐसे में NIMAS टीम की यह सफलता अत्यंत प्रेरणादायक और साहसी मानी जा रही है।
टीम की विशेषताएं:
यह टीम पूर्वोत्तर भारत की पहली टीम थी जिसने कंचनजंघा पर चढ़ाई की।
अभियान में शामिल सदस्य अत्यधिक प्रशिक्षित पर्वतारोही थे।
इस सफलता ने न केवल पूर्वोत्तर भारत बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया है।
सरकार और सेना की सराहना:
इस साहसिक अभियान की सफलता पर रक्षा मंत्रालय और भारतीय सेना ने पूरी टीम को बधाई दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर टीम को बधाई देते हुए लिखा कि “यह साहस, देशभक्ति और दृढ़ संकल्प की प्रेरणादायक मिसाल है।”
अभियान से जुड़ी खास बातें और इसका राष्ट्रीय महत्व
1. अभियान की तैयारी और रणनीति:
कंचनजंघा जैसे खतरनाक पर्वत पर चढ़ाई करना केवल शारीरिक ताकत से नहीं, बल्कि महीनों की रणनीतिक योजना और मनोवैज्ञानिक दृढ़ता से संभव होता है।
NIMAS की इस टीम ने कई महीनों तक कठोर प्रशिक्षण किया। उन्होंने उच्च ऊँचाई पर जीवित रहने, बर्फ़ीली परिस्थितियों में चढ़ाई करने और आपातकालीन स्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग ली।
2. पर्यावरण के प्रति जागरूकता:
अभियान के दौरान NIMAS टीम ने पर्यावरण संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा। ‘क्लीन क्लाइंबिंग’ के सिद्धांतों का पालन करते हुए टीम अपने पीछे कोई कचरा नहीं छोड़ती। उन्होंने चढ़ाई के दौरान रास्ते में मिले प्लास्टिक कचरे को भी इकट्ठा किया।
3. महिला पर्वतारोहियों की भागीदारी:
इस अभियान में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी रही। यह दर्शाता है कि साहस और नेतृत्व अब लिंग की सीमाओं को पार कर चुके हैं। महिला पर्वतारोहियों ने भी ऊँचाई और तापमान की चुनौतियों को मात देकर देश को गौरवान्वित किया।
4. राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बना ‘हर शिखर तिरंगा’:
जब माउंट कंचनजंघा की चोटी पर भारत का तिरंगा फहराया गया, तो वह केवल एक झंडा नहीं था – वह भारत की एकता, विविधता और आत्मबल का प्रतीक बन गया।
यह संदेश देश के हर कोने में गया कि भारत के पर्वत केवल भौगोलिक संरचनाएँ नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक हैं।\

5. भविष्य की योजनाएँ:
Col RS Jamwal और NIMAS की टीम अब ‘हर शिखर तिरंगा’ अभियान के तहत भारत की अन्य प्रमुख चोटियों को फतेह करने की तैयारी में हैं। लक्ष्य है कि प्रत्येक राज्य की सबसे ऊँची चोटी पर तिरंगा फहराया जाए।
6. युवाओं के लिए प्रेरणा:
इस सफलता ने देश के युवाओं को एडवेंचर स्पोर्ट्स की ओर आकर्षित किया है। सरकार अब पर्वतारोहण जैसे खेलों को मुख्यधारा में लाने के लिए नई नीतियाँ बना रही है और NIMAS जैसे संस्थानों को अधिक संसाधन दे रही है।
अभियान की ऐतिहासिकता और राष्ट्रीय गौरव पर गहरा प्रभाव
भारत के पर्वतारोहण इतिहास में नया अध्याय:
अब तक माउंट कंचनजंघा को भारतीय पर्वतारोहियों के लिए एक बड़ी चुनौती माना जाता था। नेपाल की सीमा पर स्थित होने के कारण अधिकतर विदेशी टीमें ही यहां सफल होती थीं।
लेकिन NIMAS की इस ऐतिहासिक सफलता ने भारतीय पर्वतारोहण को वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर दिया है। यह भारत के पर्वतारोही समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि:
इस सफलता की गूंज केवल देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहण संस्थानों तक पहुँची है। कई विदेशी मीडिया हाउस और पर्वतारोहण क्लबों ने NIMAS के इस मिशन की सराहना की है।
इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहण आयोजनों में अधिक सम्मान मिलेगा और भविष्य में अन्य देश भारत के पर्वतों पर चढ़ाई के लिए भारतीय मार्गदर्शकों और संस्थानों का सहयोग लेंगे।
‘हर शिखर तिरंगा’ अभियान को मिल रहा व्यापक समर्थन:
इस अभियान के तहत भारत की हर प्रमुख चोटी पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य है। इस पहल को अब राज्यों की सरकारों, युवाओं और रक्षा बलों से भी समर्थन मिल रहा है।
राज्य स्तर पर पर्वतारोहण क्लब और साहसिक खेल संस्थान इस मिशन में भाग लेने के लिए आगे आ रहे हैं।
मीडिया और सोशल मीडिया पर असर:
इस मिशन को मीडिया और सोशल मीडिया पर जबरदस्त कवरेज मिली है। #HarShikharTiranga और #KangchenjungaSummit जैसे हैशटैग्स सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं।
इससे आम जनता के बीच देशभक्ति की भावना जागृत हो रही है, खासकर युवाओं में।
हर शिखर तिरंगा: शिक्षा संस्थानों में प्रेरणा का स्रोत
अब कई स्कूल और कॉलेज NIMAS और Col RS Jamwal की इस यात्रा को केस स्टडी के रूप में शामिल कर रहे हैं।
इससे विद्यार्थियों को यह सीखने का मौका मिलेगा कि लक्ष्य की ऊँचाई चाहे कितनी भी हो, अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी शिखर दूर नहीं।
कर्नल आर.एस. जम्वाल: भारत के पर्वतारोहण के असली नायक
इस ऐतिहासिक मिशन के नायक कर्नल रणवीर सिंह जम्वाल भारतीय सेना के उन गिने-चुने अधिकारियों में हैं, जो पर्वतारोहण में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर चुके हैं।
वे अब तक तीन बार माउंट एवरेस्ट और 50 से अधिक ऊँचाई वाले शिखरों को फतेह कर चुके हैं।
उनका अनुभव और नेतृत्व इस मिशन की सफलता में निर्णायक भूमिका निभाता है। उनका यह कहना –
“हर शिखर पर तिरंगा फहराना केवल एक चढ़ाई नहीं, यह भारत की आत्मा को ऊँचाई देना है।”
– युवाओं में जोश भर देता है।
NIMAS: भारत की साहसिक आत्मा का केंद्र
NIMAS (National Institute of Mountaineering and Adventure Sports), Dirang – Arunachal Pradesh आज देश का ऐसा संस्थान बन चुका है, जो केवल एडवेंचर ट्रेनिंग ही नहीं देता, बल्कि देशभक्ति, अनुशासन और आत्मबल का पाठ भी पढ़ाता है।
NIMAS की विशेषताएँ:
पर्वतारोहण, स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग और हाई-ऑल्टीट्यूड ट्रेनिंग
युवाओं और सैन्य कर्मियों के लिए आधुनिक एडवेंचर ट्रेनिंग
हर साल दर्जनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अभियानों का हिस्सा

‘हर शिखर तिरंगा’ – केवल एक अभियान नहीं, एक नई चेतना
अब यह स्पष्ट हो चुका है कि ‘हर शिखर तिरंगा’ सिर्फ पहाड़ों पर झंडा फहराने तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसी राष्ट्रवादी चेतना बन चुका है, जो भारत को उसकी भौगोलिक और भावनात्मक सीमाओं से जोड़ रहा है।
यह अभियान दिखाता है कि देश का तिरंगा केवल सीमाओं की रक्षा नहीं करता, वह हर उस ऊँचाई पर पहुँचना चाहता है जहाँ भारतीय आत्मा सांस लेती है – चाहे वो हिमालय की चोटी हो या किसी युवा का सपना।
आत्मनिर्भर भारत और ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना को बढ़ावा
‘हर शिखर तिरंगा’ अभियान में पूरी तरह से भारतीय संस्थानों, संसाधनों और पर्वतारोहियों का योगदान रहा। इससे यह संदेश जाता है कि भारत अब किसी भी अंतरराष्ट्रीय अभियान में आत्मनिर्भर बन रहा है।
भारतीय निर्मित उपकरणों का प्रयोग
स्थानीय पोर्टर्स और गाइड्स की भूमिका
NIMAS द्वारा प्रशिक्षण और नेतृत्व
यह एक उदाहरण है कि आत्मनिर्भर भारत केवल उद्योगों तक सीमित नहीं, बल्कि साहसिक मिशनों और राष्ट्रीय प्रतिष्ठा में भी साकार हो रहा है।
हर शिखर तिरंगा: उत्तर-पूर्व भारत को एक नया पहचान और गौरव
अक्सर देश के उत्तर-पूर्वी राज्य, जैसे अरुणाचल प्रदेश, को मुख्यधारा के राष्ट्रीय विमर्श में वह स्थान नहीं मिलता जो उन्हें मिलना चाहिए। लेकिन NIMAS, Dirang (अरुणाचल प्रदेश) की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने पूरे उत्तर-पूर्व को गर्व से ऊँचा कर दिया है।
अब देश के हर कोने को यह समझ आने लगा है कि राष्ट्र निर्माण में पूर्वोत्तर की भूमिका अनमोल है।
हर शिखर तिरंगा: पर्यटन और आर्थिक विकास को नई दिशा
माउंट कंचनजंघा की इस सफलता के बाद एडवेंचर टूरिज्म को भी एक नई दिशा मिलेगी।
पर्वतारोहण स्थलों की पहचान और विकास
अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोहियों का भारत में बढ़ता रुझान
स्थानीय लोगों को रोजगार: गाइड, होमस्टे, ट्रेकिंग सपोर्ट आदि
सरकार इस उपलब्धि को पर्यटन अभियान जैसे “देखो अपना देश” से जोड़कर क्षेत्रीय विकास को गति दे सकती है।
हर शिखर तिरंगा: युवाओं में सेवा भावना और साहस को बढ़ावा
आज का युवा केवल सरकारी नौकरी की तलाश में नहीं है, वह देश के लिए कुछ बड़ा और गर्व करने लायक करना चाहता है।
यह अभियान NCC, Scouts & Guides, NSS जैसे संगठनों के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है
कई स्कूल और कॉलेज अब पर्वतारोहण क्लब शुरू कर रहे हैं
युवाओं को सेना, ITBP और विशेष पर्वत अभियानों से जुड़ने का उत्साह मिल रहा है
भविष्य की दिशा – हर राज्य, हर शिखर, हर दिल में तिरंगा
सरकार अब इस अभियान को राष्ट्रीय साहसिक मिशन के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है। इसके तहत:
हर राज्य की सर्वोच्च चोटी पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य
युवाओं को पर्वतारोहण में प्रशिक्षित करने के लिए विशेष कार्यक्रम
स्कूली पाठ्यक्रमों में ‘हर शिखर तिरंगा’ की कहानियों को शामिल किया जाएगा
निष्कर्ष: एक शिखर, अनेक संदेश
माउंट कंचनजंघा पर NIMAS की ऐतिहासिक चढ़ाई केवल एक साहसिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गई है।
कर्नल आर.एस. जम्वाल के नेतृत्व में ‘हर शिखर तिरंगा’ अभियान ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय जज़्बा किसी भी ऊँचाई को छू सकता है।
यह अभियान हमें याद दिलाता है कि –
शिखर केवल पहाड़ों में नहीं होते, शिखर हमारे इरादों, सपनों और देशभक्ति में भी होते हैं।
NIMAS की यह विजय आत्मनिर्भर भारत, युवाओं की शक्ति, पूर्वोत्तर के गौरव, और तिरंगे की शान – इन सभी को एक साथ जोड़ती है।
यह सफलता आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी कि यदि लक्ष्य ऊँचा हो और नीयत मजबूत, तो कोई भी पर्वत दुर्गम नहीं होता।
“हर शिखर पर तिरंगा, हर दिल में भारत।”
यही है इस मिशन का सार, यही है नए भारत की पहचान।