Uttar Pradesh Government की Silent Revolution: 425.43 करोड़ में तैयार हो रहे हैं 12 e-way Hub!
उत्तर प्रदेश का भविष्य बदलने को तैयार: 12 ई-वे हब्स का निर्माण और नया विकास मॉडल
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Toggleउत्तर प्रदेश, जो कभी पिछड़े राज्यों की सूची में गिना जाता था, अब देश के सबसे तेजी से उभरते हुए राज्यों में शामिल हो चुका है। इसका बड़ा कारण है वहां की बदलती हुई बुनियादी संरचना और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लिया गया विकासवादी दृष्टिकोण।
इसी कड़ी में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है – दो प्रमुख एक्सप्रेसवे (पूर्वांचल और बुंदेलखंड) पर 12 आधुनिक ई-वे हब्स का निर्माण।
यह परियोजना न केवल बुनियादी ढांचे को नया आयाम देगी, बल्कि इससे राज्य में निवेश, रोजगार और आर्थिक प्रगति की नई लहर भी उठेगी। आइए, जानते हैं इस महत्वाकांक्षी योजना की हर परत को विस्तार से।
क्या हैं e-way Hub और क्यों जरूरी हैं ये?
e-way Hub यानी ऐसे आधुनिक सर्विस ज़ोन जो किसी एक्सप्रेसवे पर यात्रा करने वाले यात्रियों को विश्राम, खानपान, मरम्मत, चार्जिंग, ईंधन और अन्य सेवाएं एक ही जगह पर उपलब्ध कराते हैं। यह न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होता है, बल्कि यह आसपास की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल देता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने महसूस किया कि जब राज्यभर में सैकड़ों किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं, तो उनपर विश्वस्तरीय सुविधाओं का होना उतना ही जरूरी है। इसी सोच से जन्म हुआ 12 e-way Hub की योजना का।
कहाँ-कहाँ बनेंगे ये 12 e-way Hub ?
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर 4 हब्स:
1. बांदा – एक्सप्रेसवे के दाहिनी ओर, करीब 10 हेक्टेयर भूमि पर
2. हमीरपुर – बाईं ओर, 10 हेक्टेयर भूमि
3. जालौन – एक्सप्रेसवे के दोनों ओर, दो अलग-अलग हब्स
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर 8 हब्स:
1. बाराबंकी – बाईं ओर
2. अमेठी – दाहिनी ओर
3. मऊ – बाईं ओर
4. गाजीपुर – दाहिनी ओर
5. सुल्तानपुर और आजमगढ़ – चार हब्स, दोनों जिलों में दोनों ओर
इन सभी जगहों का चयन रणनीतिक दृष्टिकोण से किया गया है, ताकि दूरी, जनसंख्या, पर्यटन और औद्योगिक जरूरतों के बीच संतुलन बना रहे।

कुल लागत और फंडिंग मॉडल
सरकार ने e-way Hub के निर्माण के लिए कुल ₹425.43 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। अनुमानित तौर पर प्रत्येक हब पर करीब ₹6.50 करोड़ का खर्च आएगा। लेकिन खास बात यह है कि यह परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित होगी।
PPP मॉडल में विशेषताएं:
निजी कंपनियों को निर्माण, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाएगी
जमीन सरकार की होगी, लेकिन संचालन 30 वर्षों के लिए प्राइवेट कंपनियों को लीज पर मिलेगा
पहले साल कोई लीज शुल्क नहीं, बाद में तय प्रतिशत के अनुसार वार्षिक भुगतान
प्राइवेट कंपनियों को वहां होटल, दुकानें, ढाबे, ईवी स्टेशन आदि बनाने की स्वतंत्रता होगी
क्या-क्या सुविधाएं होंगी इन e-way Hub में?
सरकार की योजना है कि e-way Hub को सिर्फ विश्राम स्थल नहीं, बल्कि एक मिनी-स्मार्ट टाउनशिप की तरह विकसित किया जाए। निम्नलिखित सुविधाएं प्रस्तावित हैं:
ढाबा और फूड कोर्ट – क्षेत्रीय भोजन से लेकर अंतरराष्ट्रीय ब्रांड तक
बजट होटल और रिसॉर्ट्स – रातभर रुकने की सुविधा
थीम पार्क्स और मनोरंजन केंद्र – बच्चों और परिवार के लिए
ऑटोमोबाइल सर्विस और शोरूम्स
ट्रक पार्किंग और ड्राइवर रेस्ट जोन – खासकर भारी वाहनों के लिए
ईवी चार्जिंग स्टेशन – भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए
स्वच्छ टॉयलेट, मेडिकल कियोस्क, पुलिस सहायता केंद्र
बैंक्वेट हॉल और वेडिंग लॉन – स्थानीय कार्यक्रमों के लिए उपयोगी
इन e-way Hub के निर्माण से सबसे बड़ा लाभ होगा – स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन। प्रत्येक हब पर सीधे तौर पर सैकड़ों और परोक्ष रूप से हजारों लोगों को काम मिलेगा।
स्थानीय व्यापारियों को अपनी दुकानें खोलने का अवसर मिलेगा
युवा उद्यमी फूड स्टॉल, EV चार्जिंग यूनिट या होटल खोल सकते हैं
कुशल और अकुशल श्रमिकों को रोजगार मिलेगा
स्टार्टअप्स और इनोवेटिव सर्विस प्रोवाइडर्स को भी स्थान मिलेगा
इसके साथ ही सरकार को उम्मीद है कि इससे निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा, जो यूपी में लॉजिस्टिक्स, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल और ऑटो सेक्टर में पैसा लगाना चाहेंगे।
हरियाली और सौर ऊर्जा परियोजना – पर्यावरण भी प्राथमिकता में
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर सरकार ने एक और बड़ी योजना बनाई है – 450-500 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना। यह परियोजना करीब ₹1,800 करोड़ की लागत से बनाई जाएगी और इसमें UPEIDA और GEAPP (Global Energy Alliance for People & Planet) की साझेदारी होगी।
यह ऊर्जा एक्सप्रेसवे संचालन, हब्स, लाइटिंग और चार्जिंग के लिए प्रयोग की जाएगी
एक्सप्रेसवे के किनारे 15-20 मीटर की जमीन पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे
इससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा और हरियाली को बढ़ावा मिलेगा
यूपी के 29 जिलों में बनेंगे औद्योगिक केंद्र
e-way Hub के साथ ही राज्य सरकार छह प्रमुख एक्सप्रेसवे के किनारे 30 औद्योगिक केंद्र भी विकसित कर रही है, जो 29 जिलों में फैले होंगे।
कुल लागत – ₹8,000 करोड़
कुल भूमि – लगभग 5,500 हेक्टेयर
लक्ष्य – मैन्युफैक्चरिंग, वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक्स और SME सेक्टर को बढ़ावा देना
e-way Hub इन औद्योगिक गलियारों के गेटवे की तरह काम करेंगे – जहां माल का परिवहन, श्रमिकों की आवासीय सुविधा और कंपनियों की लॉजिस्टिक सपोर्ट व्यवस्था होगी।
परियोजना की वर्तमान स्थिति और आगे की योजना
सरकार ने इस योजना के लिए बिडिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। जुलाई 2024 में बिड डॉक्यूमेंट्स आमंत्रित किए गए हैं और सितंबर 2024 तक कंपनियों का चयन कर लिया जाएगा।
सम्भावित कार्यप्रणाली:
2024 के अंत तक – भूमि का फाइनल क्लियरेंस, कंपनियों का चयन
2025 की शुरुआत – निर्माण कार्य शुरू
2026 तक – पहले चरण के कम-से-कम 6 हब्स तैयार
उत्तर प्रदेश का भविष्य: एक लॉजिस्टिक और पर्यटन हब
इस पूरी परियोजना का दूरगामी लक्ष्य है – उत्तर प्रदेश को लॉजिस्टिक हब और टूरिज्म पावरहाउस बनाना। जब राज्य के अंदर कहीं से भी 4-5 घंटे में आप हाईस्पीड एक्सप्रेसवे से दूसरे छोर तक पहुंच सकते हैं, तब वहां सुविधाएं ना हों तो विकास अधूरा रह जाता है। ये ई-वे हब्स उसी कमी को पूरा करेंगे।
निवेशकों के लिए सुनहरा अवसर
जब सरकार किसी योजना के लिए PPP (Public-Private Partnership) मॉडल अपनाती है, तो इसका एक मकसद यह होता है कि निजी क्षेत्र अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और पूंजी के साथ आगे आए। उत्तर प्रदेश सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं:
30 वर्ष का संचालन अधिकार: एक लंबी अवधि तक संचालन की छूट निवेशकों को भरोसा देती है कि वे अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकेंगे।
प्रारंभिक वर्षों में कर छूट/लीज शुल्क माफ: पहले साल कोई लीज शुल्क नहीं और बाद में केवल कुल आय का निर्धारित प्रतिशत।
सरकारी सहायता: भूमि और बुनियादी सुविधाएं सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाएंगी।
इससे क्या होगा?
देशी-विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा
होटल, ढाबा, चार्जिंग स्टेशन जैसे सेक्टर में प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता
स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को बाजार मिलेगा

क्षेत्रीय विकास और असंतुलन की भरपाई
उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्र लंबे समय से विकास की दौड़ में पीछे रहा है। यही वजह है कि ये हब्स रणनीतिक रूप से बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर बनाए जा रहे हैं।
इन हब्स से जुड़े फायदे:
पूर्वांचल और बुंदेलखंड में रोजगार और व्यापार के नए केंद्र खुलेंगे
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अंतर घटेगा
कृषि उत्पादों को बाजार से जोड़ने में मदद मिलेगी
टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा (विशेषकर अमेठी, गाजीपुर, बांदा जैसे ऐतिहासिक क्षेत्रों में)
ईवी क्रांति को बढ़ावा
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर एक बड़ा बदलाव आ रहा है और उत्तर प्रदेश पीछे नहीं रहना चाहता। इन e-way Hub में जो EV चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे, वे:
राष्ट्रीय ई-मोबिलिटी मिशन के अनुरूप होंगे
तेज चार्जिंग यूनिट्स और बैटरी स्वैपिंग सिस्टम से लैस होंगे
टेस्ला जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भी अनुकूल होंगे
इसका अर्थ यह है कि यूपी सरकार भविष्य की जरूरतों को लेकर भी सजग है और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार दृष्टिकोण अपना रही है।
महिलाओं और दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं
हर e-way Hub में सरकार ने इन्क्लूजिव डिजाइन अपनाने की बात कही है। इसका अर्थ है:
दिव्यांगजनों के लिए रैंप, व्हीलचेयर एसेसिबिलिटी
महिलाओं के लिए सुरक्षित विश्रामगृह, चाइल्ड केयर रूम
CCTV निगरानी और सुरक्षा गार्ड की तैनाती
इससे यह सुनिश्चित होगा कि यात्रा केवल सुगम ही नहीं बल्कि सुरक्षित भी हो।
भविष्य की योजनाएं और विस्तार
सरकार इन 12 हब्स को एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह देख रही है। यदि यह योजना सफल रहती है तो अगले चरण में:
गंगा एक्सप्रेसवे, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे आदि पर भी हब्स बनाए जाएंगे
स्पेशल लॉजिस्टिक क्लस्टर्स और ई-कॉमर्स हब्स का निर्माण होगा
e-way Hub को डिजिटल रूप से स्मार्ट बनाया जाएगा – जैसे कि ऑनलाइन बुकिंग, AI बेस्ड सर्विस मैनेजमेंट आदि
यूपी का नया चेहरा: आत्मनिर्भर, आधुनिक और पर्यावरण हितैषी
इस पूरे मॉडल का मूल उद्देश्य है:
आत्मनिर्भर भारत मिशन को समर्थन देना
स्थानीय उत्पादों और MSMEs को नया बाज़ार देना
युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के लिए मंच देना
हरित ऊर्जा और सतत विकास की दिशा में कदम
विशेषज्ञों की राय
प्रमुख आर्थिक विश्लेषकों और इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना सही क्रियान्वयन के साथ आगे बढ़ती है, तो:
उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहां एक्सप्रेसवे के साथ ऐसा इंटीग्रेटेड ईको-सिस्टम तैयार किया गया
भारत के लॉजिस्टिक प्रदर्शन इंडेक्स (LPI) में यूपी का स्थान ऊंचा होगा
इस मॉडल को अन्य राज्य भी अपनाने के लिए प्रेरित होंगे
दीर्घकालिक प्रभाव: आने वाले वर्षों में बदलाव की रूपरेखा
जब किसी योजना में निवेश दीर्घकालिक सोच के साथ होता है, तो उसका प्रभाव भी आने वाले कई दशकों तक देखा जा सकता है। 12 e-way Hub की यह परियोजना उत्तर प्रदेश को किस तरह से बदल सकती है, आइए समझते हैं:
(1) ट्रांसपोर्ट सेक्टर का कायाकल्प
तेज़ और सुगम परिवहन का मतलब है कि लोगों और सामान की आवाजाही में समय और लागत दोनों की बचत होगी।
माल ढुलाई तेज़ होगी, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
हर सेक्टर को इससे अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा – शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और उद्योग।
(2) शहरीकरण को सही दिशा में मोड़ना
ये e-way Hub छोटे शहरों और कस्बों को विकसित करेंगे जिससे महानगरों पर बोझ घटेगा।
बेहतर बुनियादी सुविधाएं मिलने से लोग बड़े शहरों की ओर पलायन करने के बजाय अपने क्षेत्र में ही रोज़गार पा सकेंगे।
(3) कृषि क्षेत्र को फायदा
किसान अपने उत्पाद सीधे इन हब्स के माध्यम से बाजार तक पहुंचा सकेंगे।
इससे बिचौलियों की भूमिका घटेगी और किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
चुनौतियाँ और समाधान
कोई भी बड़ी योजना बिना चुनौतियों के नहीं होती। आइए इस योजना से जुड़ी कुछ संभावित चुनौतियों और उनके समाधान पर नज़र डालते हैं:
(1) भूमि अधिग्रहण और स्थानीय विरोध
समाधान: सरकार को पारदर्शी तरीके से मुआवज़ा देना होगा और स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार में शामिल करना होगा।
(2) रख-रखाव और संचालन की गुणवत्ता
समाधान: निजी कंपनियों का चयन करते समय सख्त मानक तय किए जाएं और निगरानी के लिए स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति हो।
(3) भ्रष्टाचार और देरी
समाधान: कार्यों की प्रगति को सार्वजनिक पोर्टल पर अपडेट किया जाए ताकि आम नागरिक भी निगरानी कर सकें।
जन सहभागिता की भूमिका
सरकारी योजनाएं तभी सफल होती हैं जब आम जनता की उसमें भागीदारी हो। इन e-way Hub को लेकर भी जनता की भूमिका अहम होगी:
स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर नौकरी के योग्य बनाया जाए।
स्थानीय व्यापारियों और महिला स्व-सहायता समूहों को इन e-way Hub में स्टॉल, ढाबा, कियोस्क खोलने का अवसर दिया जाए।
जनता से फीडबैक लेकर सुधार किए जाएं।
डिजिटल और ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
उत्तर प्रदेश सरकार इन e-way Hub को ‘स्मार्ट और ग्रीन हब्स’ के रूप में विकसित करने की सोच रही है। इसके लिए:
सौर ऊर्जा आधारित लाइटिंग
बारिश का जल संचयन (Rain Water Harvesting)
EV चार्जिंग, डिजिटल साइन बोर्ड, CCTV निगरानी
Online Booking, QR-Based Payment सिस्टम
यह न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा बल्कि तकनीक का सही और सुलभ उपयोग सुनिश्चित करेगा।
भविष्य की प्रेरणा और राष्ट्रीय उदाहरण
यदि यह मॉडल सफल होता है, तो यह पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है:
अन्य राज्य जैसे बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान इसे अपनाने की कोशिश करेंगे।
केंद्र सरकार भी इसे भारतीय राजमार्ग विकास नीति में शामिल कर सकती है।
निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश की प्रगति की नई दिशा
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 425.43 करोड़ रुपये की लागत से दो प्रमुख एक्सप्रेसवे – पूर्वांचल और बुंदेलखंड – पर 12 अत्याधुनिक e-way Hub विकसित करने की यह योजना न सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, बल्कि यह राज्य के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास की एक मजबूत नींव भी है।
इस परियोजना से राज्य में लॉजिस्टिक्स क्रांति का आरंभ होगा, जिससे व्यापार, उद्योग और किसानों को नई राह मिलेगी। युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, ट्रांसपोर्ट आसान होगा और छोटे शहरों को विकास का सीधा लाभ मिलेगा।
भविष्य में यह योजना उत्तर प्रदेश को भारत का लॉजिस्टिक्स हब बना सकती है और अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बन सकती है। यह परियोजना सरकार की दूरदर्शिता, तकनीकी नवाचार और जनसहभागिता की मिसाल है।
अब ज़रूरत है इस योजना को समय पर, पारदर्शिता और गुणवत्ता के साथ ज़मीन पर उतारने की—ताकि उत्तर प्रदेश वास्तव में ‘एक्सप्रेस विकास’ की ओर बढ़े और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मज़बूत कदम रखे।
“यह सिर्फ हाइवे का विकास नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के भविष्य की दिशा तय करने वाली योजना है।
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