Muthulakshmi Reddy: भारत की पहली महिला विधायक और समाज सुधार की प्रेरणादायक कहानी
1️⃣ प्रस्तावना
भारत के इतिहास में कुछ ऐसे नाम हैं जो सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार बन जाते हैं — डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी उन्हीं में से एक हैं।
एक ऐसी महिला जिन्होंने उस दौर में समाज की परंपराओं को तोड़ा जब महिलाओं को पढ़ने, बोलने या निर्णय लेने तक का अधिकार नहीं था।
वह न सिर्फ देश की पहली महिला विधायक बनीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों, बाल विवाह की रोकथाम, देवदासी प्रथा के अंत और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में अग्रणी रहीं।
उनका जीवन यह संदेश देता है कि “अगर नीयत साफ हो और लक्ष्य समाज की भलाई का हो, तो कोई भी दीवार बड़ी नहीं होती।”
2️⃣ प्रारंभिक जीवन
Muthulakshmi Reddy का जन्म 30 जुलाई 1886 को तमिलनाडु के पुदुकोट्टई नामक छोटे-से राज्य में हुआ था।
उनके पिता नारायणस्वामी अय्यर एक प्रतिष्ठित शिक्षक थे और माता चंद्रमल एक ऐसी महिला थीं जो देवदासी परंपरा से जुड़ी थीं।
इस वजह से Muthulakshmi Reddy ने बचपन से ही देखा कि समाज किस तरह महिलाओं के साथ दोहरा व्यवहार करता है।
उन्होंने स्वयं कहा था —
> “मैंने माँ की आँखों में वह पीड़ा देखी, जो समाज की अन्यायपूर्ण प्रथाओं से जन्मी थी। तभी मैंने निश्चय किया कि मैं महिलाओं के लिए कुछ करूंगी।”
बचपन से ही उनकी बुद्धिमत्ता और दृढ़ निश्चय ने उन्हें अलग बनाया। उन्होंने घर पर ही शुरुआती शिक्षा प्राप्त की, और जब स्कूल जाने का समय आया तो लोगों ने विरोध किया —
“लड़की कॉलेज जाएगी?” — पर Muthulakshmi Reddy ने यह ‘नहीं’ स्वीकार नहीं किया।

3️⃣ शिक्षा की यात्रा – बंधन तोड़ने की शुरुआत
उनकी शिक्षा की यात्रा किसी संघर्ष से कम नहीं थी। उन्होंने पुदुकोट्टई के महाराजा कॉलेज में प्रवेश लिया — जो उस समय केवल लड़कों के लिए था। वह वहाँ पहली महिला छात्रा बनीं।
यह कदम पूरे समाज के लिए झटका था, लेकिन Muthulakshmi Reddy के लिए यह शुरुआत थी।
1907 में उन्होंने Madras Medical College में प्रवेश लेकर चिकित्सा क्षेत्र में कदम रखा।
1912 में उन्होंने डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की — और वे मद्रास प्रेसीडेंसी की पहली भारतीय महिला डॉक्टर बनीं।
उन्होंने अपनी मेडिकल शिक्षा के दौरान कई स्वर्ण पदक और पुरस्कार जीते। लेकिन उनके लिए ये सम्मान नहीं, बल्कि सेवा का साधन थे।
4️⃣ चिकित्सक से समाज सुधारक बनने की यात्रा
Muthulakshmi Reddy ने चिकित्सा जगत में प्रवेश तो कर लिया था, लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ डॉक्टर बनना नहीं था।
उन्होंने देखा कि गरीब महिलाएँ इलाज के अभाव में मर रही हैं, बच्चों की देखभाल का कोई ठिकाना नहीं है, और समाज में असमानता की दीवारें ऊँची हैं।
उन्होंने मद्रास के सरकारी मातृत्व अस्पताल में पहली महिला सर्जन के रूप में काम शुरू किया, पर धीरे-धीरे वे समझ गईं कि “बीमारी सिर्फ शरीर की नहीं है, यह समाज की भी है।”
इसी सोच ने उन्हें डॉक्टर से सामाजिक सुधारक बना दिया।
उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य पर कई योजनाएँ शुरू कीं —
छात्राओं के स्वास्थ्य निरीक्षण की व्यवस्था,
गर्भवती महिलाओं के लिए चिकित्सा सुविधा,
महिला डॉक्टरों की भर्ती की पहल।
5️⃣ समाज सुधार के क्षेत्र में योगदान
🔸 देवदासी प्रथा के खिलाफ अभियान
उनकी माँ देवदासी परंपरा से थीं, इसलिए वे इस प्रथा की अमानवीयता को बहुत गहराई से समझती थीं।
उन्होंने तमिलनाडु में देवदासी प्रथा के उन्मूलन के लिए संघर्ष किया।उनकी मेहनत के परिणामस्वरूप यह प्रथा कानूनी रूप से प्रतिबंधित हुई।
🔸 बाल विवाह विरोधी आंदोलन
उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई और लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाने के लिए कानून लाने की मांग की।
उनके प्रयासों से यह प्रस्ताव स्वीकार किया गया।
🔸 महिलाओं की शिक्षा
उन्होंने कहा था —
> “यदि एक पुरुष शिक्षित होता है तो केवल वह शिक्षित होता है, लेकिन यदि एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है।”
उन्होंने गरीब और अनाथ लड़कियों के लिए 1930 में ‘अव्वै होम (Avvai Home)’ की स्थापना की, जहाँ शिक्षा, आश्रय और आत्मनिर्भरता की सुविधा दी जाती थी।
6️⃣ राजनीतिक योगदान – भारत की पहली महिला विधायक
1926 में Muthulakshmi Reddy को मद्रास विधान परिषद (Madras Legislative Council) की सदस्य के रूप में नामित किया गया।
वे ब्रिटिश भारत की पहली महिला विधायक (First Woman Legislator) बनीं।
विधानसभा में उन्होंने निडर होकर महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाए —
बाल विवाह निषेध विधेयक,
महिलाओं के संपत्ति अधिकार,
मातृ एवं शिशु कल्याण कार्यक्रम,
छात्राओं के लिए स्वास्थ्य सेवा।
उनकी दूरदर्शिता का परिणाम यह हुआ कि दक्षिण भारत में महिलाओं की स्थिति में वास्तविक सुधार आया।
7️⃣ चिकित्सा और जनसेवा – एडयर कैंसर इंस्टीट्यूट
उनकी बहन के कैंसर से निधन ने उन्हें गहराई से झकझोर दिया। उन्होंने तय किया कि वे कैंसर के रोगियों के लिए कुछ स्थायी करेंगी। 1954 में उन्होंने “Adyar Cancer Institute” की स्थापना की —
जो आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ कैंसर अनुसंधान और उपचार संस्थानों में गिना जाता है।
इस संस्था का उद्देश्य था —
> “हर व्यक्ति को, चाहे वह गरीब हो या अमीर, जीवन बचाने का समान अवसर मिले।”
यह संस्थान आज भी Muthulakshmi Reddy के मानवीय दृष्टिकोण की जीवित मिसाल है।
8️⃣ प्रमुख उपलब्धियाँ और सम्मान
भारत सरकार ने उन्हें 1956 में पद्म भूषण (Padma Bhushan) से सम्मानित किया।
वे भारत की पहली महिला मेडिकल ग्रेजुएट बनीं।
1930 में महिलाओं के लिए Avvai Home की स्थापना की।
1954 में Adyar Cancer Institute की स्थापना की।
1926 में बनीं पहली महिला विधायक।
तमिलनाडु सरकार ने उनके नाम पर “Muthulakshmi Maternity Benefit Scheme” शुरू की।
गूगल ने 2019 में उनके जन्मदिवस पर Google Doodle बनाकर सम्मान दिया।

9️⃣ उनके विचार और जीवन दर्शन
Muthulakshmi Reddy ने कहा था —
> “समाज तब तक स्वस्थ नहीं हो सकता जब तक उसकी महिलाएँ शिक्षित, आत्मनिर्भर और सम्मानित न हों।”
उनका जीवन तीन स्तंभों पर आधारित था:
1. शिक्षा — समाज की जड़ में बदलाव का आधार।
2. स्वास्थ्य — हर नागरिक का मूल अधिकार।
3. समानता — सामाजिक न्याय का आधार।
उन्होंने हमेशा कहा कि महिलाओं को दया की नहीं, अवसर की ज़रूरत है।
🔟 संघर्ष और विरोध
उनका जीवन आसान नहीं था।
समाज ने उन्हें बार-बार रोका, कहा — “यह महिलाओं का काम नहीं।”
कई धार्मिक समूहों ने उनके सुधारों का विरोध किया, पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
वे कहा करती थीं —
> “जब मैं सही हूँ, तो डर कैसा?”
उनकी यह निडरता ही उन्हें महान बनाती है।
1️⃣1️⃣ विरासत और प्रेरणा
आज भी Muthulakshmi Reddy की विरासत जीवित है —
Avvai Home में हजारों अनाथ और वंचित लड़कियाँ शिक्षा पा रही हैं।
Adyar Cancer Institute हर वर्ष लाखों मरीजों का इलाज करता है।
तमिलनाडु में हर साल 30 जुलाई को “Hospital Day” मनाया जाता है — उनकी स्मृति में।
उनकी सोच आधुनिक नारी आंदोलन की नींव रखती है।
वे इस विश्वास की प्रतीक थीं कि “सच्चा विकास तभी है जब समाज में हर महिला सुरक्षित और शिक्षित हो।”
1️⃣2️⃣ निष्कर्ष
Muthulakshmi Reddy का जीवन समाज सुधार, सेवा और समानता का प्रतीक है। उन्होंने साबित किया कि यदि एक व्यक्ति में हिम्मत, शिक्षा और मानवीय संवेदना हो तो वह इतिहास बदल सकता है।
आज जब हम महिला सशक्तिकरण की बातें करते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि इस राह की पहली ईंट उन्होंने ही रखी थी।
“उन्होंने समाज को यह सिखाया —
जहाँ परंपरा रोकती है, वहीं से परिवर्तन की शुरुआत करनी चाहिए।”
FAQs: Muthulakshmi Reddy की जीवनी से जुड़े प्रमुख प्रश्न
1. Muthulakshmi Reddy कौन थीं?
उत्तर:
डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी भारत की पहली महिला विधायक, समाज सुधारक और डॉक्टर थीं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों के लिए जीवनभर कार्य किया। वे तमिलनाडु में Avvai Home और Adyar Cancer Institute की संस्थापक थीं।
2. Muthulakshmi Reddy का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
उनका जन्म 30 जुलाई 1886 को पुदुकोट्टई, तमिलनाडु में हुआ था। उनके पिता नारायणस्वामी अय्यर शिक्षक थे और माता चंद्रमल देवदासी समुदाय से थीं।
3. Muthulakshmi Reddy ने कहाँ से शिक्षा प्राप्त की?
उत्तर:
उन्होंने महाराजा कॉलेज, पुदुकोट्टई से प्रारंभिक उच्च शिक्षा प्राप्त की और बाद में Madras Medical College से 1912 में मेडिकल स्नातक की उपाधि हासिल की।
4. Muthulakshmi Reddy की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या थीं?
उत्तर:
भारत की पहली महिला विधायक (1926)
पहली महिला मेडिकल ग्रेजुएट
देवदासी प्रथा उन्मूलन में नेतृत्व
Avvai Home (1930) की स्थापना
Adyar Cancer Institute (1954) की स्थापना
1956 में पद्म भूषण से सम्मानित
5. उन्होंने किन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया?
उत्तर:
उन्होंने देवदासी प्रथा, बाल विवाह, महिलाओं के शिक्षा-विरोध, और लैंगिक भेदभाव जैसी बुराइयों के खिलाफ आंदोलन चलाया।
6. डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी ने राजनीति में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:
1926 में वे Madras Legislative Council की पहली महिला सदस्य बनीं। उन्होंने महिला शिक्षा, मातृ स्वास्थ्य और बाल विवाह निषेध पर कई कानून प्रस्तावित किए।
7. “Avvai Home” क्या है?
उत्तर:
Avvai Home एक संस्था है जिसे 1930 में डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी ने अनाथ, वंचित और गरीब लड़कियों की शिक्षा और संरक्षण के लिए स्थापित किया था।
8. “Adyar Cancer Institute” क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
1954 में डॉ. रेड्डी ने इस कैंसर संस्थान की स्थापना की, जो आज दक्षिण भारत का अग्रणी कैंसर उपचार और अनुसंधान केंद्र है। यहाँ हर वर्ग के मरीजों को नि:शुल्क या सस्ती चिकित्सा सुविधा मिलती है।
9. उन्हें कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
उत्तर:
1956 में भारत सरकार ने उन्हें Padma Bhushan से सम्मानित किया। इसके अलावा, उन्हें कई सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं ने विशेष सम्मान दिए।
10. डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी की विरासत आज भी क्यों प्रासंगिक है?
उत्तर:
क्योंकि उन्होंने दिखाया कि शिक्षा और समान अवसरों से महिलाएँ समाज बदल सकती हैं। उनकी संस्थाएँ आज भी हजारों लोगों का जीवन सुधार रही हैं। तमिलनाडु में हर साल 30 जुलाई को उनके सम्मान में “Hospital Day” मनाया जाता है।
11. गूगल ने डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी को कब सम्मानित किया?
उत्तर:
30 जुलाई 2019 को Google ने उनके 133वें जन्मदिन पर Google Doodle बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
12. उनकी जीवन-दर्शन की मुख्य बात क्या थी?
उत्तर:
> “महिला को दया की नहीं, अवसर की आवश्यकता है।”
उनका विश्वास था कि शिक्षा, स्वास्थ्य और समानता ही महिलाओं की असली स्वतंत्रता हैं।
