मोक्षदा एकादशी 2025: व्रत विधि, कथा, लाभ और पितृउद्धार का महत्व
परिचय: मोक्ष की राह खोलने वाली एकादशी
हिंदू संस्कृति में एकादशी को “आत्मा की शुद्धि का दिन” कहा गया है। लेकिन वर्षभर की 24 एकादशियों में से मोक्षदा एकादशी का स्थान सबसे ऊँचा माना जाता है।
यह वह दिन है जब व्यक्ति
अपने कर्मबंधनों को हल्का कर सकता है,
पितरों का उद्धार कर सकता है
और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को तेज कर सकता है।
2025 में मोक्षदा एकादशी 6 दिसंबर, शनिवार को पड़ रही है।
मोक्षदा एकादशी 2025—पंचांग और समय
मोक्षदा एकादशी तिथि
6 दिसंबर 2025 (शनिवार)
व्रत पारण
7 दिसंबर 2025, प्रातः—हरि वासर के बाद
इस दिन क्या विशेष है?
यही दिन गीता जयंती का पर्व है
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में भगवद्गीता का उपदेश इसी दिन दिया था
इस दिन विष्णु भक्ति का फल अनंत गुना बढ़ जाता है

मोक्षदा एकादशी का वास्तविक अर्थ और महत्व
1. मोक्ष का द्वार खोलने वाली तिथि
‘मोक्षदा’ शब्द का अर्थ है— मोक्ष प्रदान करने वाली। इसीलिए शास्त्रों में इस एकादशी को वैकुंठ तक पहुँचाने वाली एकादशी कहा गया है।
2. पितृउद्धार का श्रेष्ठ दिन
ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी के व्रत से
पितरों को नरक से मुक्ति मिलती है
उनके अधूरे कर्म पूरे होते हैं
और उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलता है
3. गीता ज्ञान का स्मरण
क्योंकि इस दिन गीता का प्रादुर्भाव हुआ, इसलिए इसका आध्यात्मिक भार कई गुना बढ़ जाता है।
4. नकारात्मक कर्मों का क्षय
इस दिन
मन की अशुद्धि
भय
चिंता
दोष और पूर्व जन्म के दुष्कर्म विशेष रूप से समाप्त होते हैं।
5. आधुनिक जीवन में महत्व
आज के युग में, जब तनाव और असंतुलन बढ़ गया है, मोक्षदा एकादशी का
ध्यान
उपवास
मौन
और गीता-पाठ मानसिक संतुलन के लिए अमृत समान है।
व्रत की विस्तृत विधि
सुबह का संकल्प
ब्रह्म मुहूर्त में उठें
शुद्ध स्नान करें
पीले या हल्के रंग के कपड़े पहनें
पूर्व दिशा की ओर बैठकर व्रत का संकल्प लें
संकल्प मंत्र
“मैं आज मोक्षदा एकादशी का व्रत विष्णु भगवान की कृपा हेतु कर रहा/रही हूँ।”
घर और पूजा स्थान की तैयारी
गंगाजल से छिड़काव
पीले कपड़े की वेदी
विष्णु भगवान की मूर्ति/चित्र
तुलसी का पौधा पास रखें
पूजा क्रम
1. दीपक जलाएं
2. चंदन, फूल, अक्षत अर्पित करें
3. तुलसीदल अवश्य चढ़ाएं
4. पीले फल और मिठाई अर्पित करें
5. श्रीविष्णु सहस्रनाम या गीता के अध्याय पढ़ें
6. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें
उपवास के नियम
फलाहार या केवल जल
तामसिक भोजन पूर्णतः वर्जित
झूठ, कठोर वाणी, निंदा से दूर रहें
रात्रि में जागरण भक्तिमय वातावरण में करें
अगले दिन पारण
हरि वासर के बाद
ताजे फल या जल से व्रत खोलें
दान अवश्य करें (अनाज, कपड़े, घी, फल)
मोक्षदा एकादशी की विशिष्ट कथा
प्राचीन काल में वैकुण्ठ नगर नाम का एक सामर्थ्यशाली राज्य था। वहाँ वैकासुर नाम के राजा का शासन था। राजा न्यायप्रिय था, परंतु एक रात उसे स्वप्न में अपने पिता अत्यंत कष्ट में दिखाई दिए।
पिता ने कहा—
“मेरे जीवन में हुई एक भूल के कारण मैं निचले लोक में पीड़ा झेल रहा हूँ। मेरे उद्धार का एक ही उपाय है— मोक्षदा एकादशी का व्रत।”
राजा व्याकुल होकर ऋषि कुंडल के आश्रम पहुँचा।
ऋषि ने कहा—
“यदि तुम पूरे नियमों के साथ व्रत रखकर उसका पुण्य अपने पितरों को अर्पित करोगे, तो उन्हें तुरंत मुक्ति मिल जाएगी।”
राजा ने एकाग्र भाव से उपवास किया, गीता का पाठ किया और अगले दिन पारण करके दान किया।
कथानुसार, उसी क्षण दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ और उनके पिता निचले लोक से मुक्त होकर उत्तम लोक में चले गए।
इस कथा का तात्पर्य है कि—
मोक्षदा एकादशी का व्रत केवल स्वयं को नहीं, बल्कि हमारे पितरों को भी मुक्त करता है।
विशेष मंत्र—मोक्ष प्रदाता
✔ “ॐ नमो नारायणाय”
मानसिक शांति के लिए सबसे श्रेष्ठ।
✔ “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
सभी बाधाएँ दूर करता है।
✔ गीता का कोई भी अध्याय पाठ
विशेषकर—
अध्याय 2
अध्याय 12
अध्याय 18
ये तीन अध्याय मोक्ष मार्ग का सार बताते हैं।
मोक्षदा एकादशी पर क्या अवश्य करना चाहिए?
✔ गीता का पाठ
शास्त्र कहते हैं—
एक श्लोक भी पढ़ना हजार गाय दान के समान फल देता है।
✔ तुलसी पर दीप
यह पितृदोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी उपाय है।
✔ गौ-माता की सेवा
मोक्ष से जुड़े शुभ कर्मों में सबसे उच्च।
✔ गरीबों को भोजन
यह मोक्षदा एकादशी की आत्मा है।
क्या न करें?
किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन
कटु वाणी, झगड़ा
नशा
आलस्य
अनैतिक कार्य
चावल का सेवन
मोक्षदा एकादशी के लाभ—कई स्तरों पर
🔹 आध्यात्मिक लाभ
मन की शांति
आत्मिक शक्ति
स्मरण शक्ति में वृद्धि
संकल्पशक्ति प्रबल
🔹 पितृ संबंधी लाभ
पितृ दोष शमन
पितरों का उद्धार
परिवार में शांति
🔹 भौतिक जीवन में लाभ
करियर में उन्नति
धन-लाभ
नौकरी-व्यापार में स्थिरता
🔹 स्वास्थ्य लाभ
मानसिक तनाव कम
मन में सकारात्मकता
हृदय और मन की हल्की अनुभूति
📘 गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी—गहरा संबंध
कुरुक्षेत्र के युद्ध में, जब अर्जुन भीत और दुखी हो गया, तब भगवान कृष्ण ने उसे आत्मा, कर्म, भक्ति और कर्तव्य का विशुद्ध ज्ञान दिया।
इसी ज्ञान का संकलन भगवद्गीता है। और यही दिन मोक्षदा एकादशी है।
इसलिए इस दिन—
गीता पाठ
गीता दान
गीता के संदेशों पर मनन बहुत शुभ और फलदायी है।
विशिष्ट उपाय जो इस दिन सबसे अधिक प्रभावी माने जाते हैं
✔ पीले वस्त्र में विष्णु पूजा
समृद्धि और मोक्ष फल बढ़ता है।
✔ मनोकामना दीपक
एक दीपक में घी भरकर मनोकामना कहें और विष्णु भगवान के सामने रखें।
✔ 18 अध्यायों का संक्षिप्त पाठ
यदि पूरा नहीं पढ़ सकते तो केवल ‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः’ वाले श्लोक पढ़ें।
✔ पितरों के नाम से दान
यह उपाय इस एकादशी की मूल आत्मा है।

मोक्षदा एकादशी 2025 – FAQs (पूरी तरह नई भाषा में)
1. मोक्षदा एकादशी 2025 कब है?
मोक्षदा एकादशी वर्ष 2025 में 6 दिसंबर, शनिवार को आएगी, और इसका पारण 7 दिसंबर की सुबह किया जाएगा।
2. मोक्षदा एकादशी को “मोक्षदाता” क्यों कहते हैं?
क्योंकि यह एकादशी मनुष्य को
पापों से मुक्ति,
आत्मिक शांति
और पितरों के उद्धार का मार्ग प्रदान करती है। शास्त्रों में इसे वैकुंठ प्राप्ति का श्रेष्ठ दिन बताया गया है।
3. क्या इस एकादशी पर गीता जयंती भी मनाई जाती है?
हाँ।
मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए इसे गीता जयंती भी कहा जाता है।
4. मोक्षदा एकादशी का व्रत कैसे रखें?
सुबह स्नान कर संकल्प लें
विष्णु भगवान की पूजा करें
तुलसी अर्पित करें
गीता पाठ करें
उपवास या फलाहार करें
अगले दिन पारण करें इस व्रत में सत्य, संयम और श्रद्धा सबसे जरूरी हैं।
5. क्या इस दिन चावल खाना मना है?
हाँ।
एकादशी में चावल, दाल, तामसिक भोजन और अनाजों का सेवन वर्जित है।
6. क्या महिलाएँ मोक्षदा एकादशी का व्रत कर सकती हैं?
हाँ।
स्त्री-पुरुष, दोनों के लिए यह व्रत समान रूप से शुभ और फलदायक है।
7. इस एकादशी का पितृ दोष से क्या संबंध है?
कहा जाता है कि इस व्रत से प्राप्त पुण्य पितरों को समर्पित करने पर
उनका कष्ट दूर होता है
और उन्हें शुभ लोकों की प्राप्ति होती है इसलिए इसे पितृउद्धार एकादशी भी कहा गया है।
8. क्या रोगी या बुजुर्ग व्रत रख सकते हैं?
हाँ, परन्तु वे फलाहार या हल्का सात्विक भोजन लेकर व्रत कर सकते हैं। निर्जला व्रत आवश्यक नहीं है।
9. क्या मोक्षदा एकादशी पर गीता का कोई विशेष अध्याय पढ़ना चाहिए?
यदि संपूर्ण गीता पाठ संभव न हो तो अध्याय—
2,
12
और 18 का पढ़ना सबसे उत्तम माना जाता है।
10. मोक्षदा एकादशी पर कौन-कौन से दान शुभ माने जाते हैं?
इस दिन
भोजन
वस्त्र
फल
घी
और गीता पुस्तक दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
11. क्या इस दिन रात्रि जागरण आवश्यक है?
जरूरी नहीं, परन्तु यदि आप भक्तिभाव से रात्रि में
भजन
मंत्र-जाप
या गीता पाठ करते हैं तो व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
12. क्या मनोकामना के लिए कोई विशेष उपाय है?
हाँ।
मोक्षदा एकादशी की शाम तुलसी के सामने घी का दीपक जलाकर शांत मन से एक मनोकामना कहें— माना जाता है कि यह उपाय शीघ्र फल देता है।
13. क्या बच्चे व्रत कर सकते हैं?
छोटे बच्चों को कठोर व्रत नहीं कराना चाहिए, लेकिन वे पूजा में शामिल होकर नैतिक और आध्यात्मिक लाभ पा सकते हैं।
14. इस दिन किन चीजों से बचना चाहिए?
मांस, मदिरा
क्रोध, झूठ, निंदा
तामसिक भोजन
अधिक नींद
चावल
15. मोक्षदा एकादशी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस एकादशी का मूल लक्ष्य है—
आत्मा को पवित्र बनाना, पितरों का उद्धार करना और भगवद्फर प्राप्ति का मार्ग खोलना।
निष्कर्ष : मोक्ष और ज्ञान का द्वार खोलने वाली पवित्र तिथि
मोक्षदा एकादशी केवल उपवास या धार्मिक अनुष्ठान का दिन नहीं है; यह आत्मिक जागरण, आंतरिक शुद्धि और दिव्य ज्ञान का अद्भुत संगम है। जिस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का अमृत ज्ञान दिया था, उसी दिन आने वाली यह एकादशी मनुष्य को अपने जीवन, कर्म और सोच को उच्च दिशा में ले जाने का अवसर देती है।
2025 में यह पावन तिथि 6 दिसंबर को आएगी और हर उस व्यक्ति के लिए अत्यंत फलदायी होगी जो
पितरों के उद्धार,
मन की शांति,
आध्यात्मिक उत्थान
और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की इच्छा रखता है।
इस दिन की पूजा, व्रत, गीता-पाठ, दान और सत्कर्म न सिर्फ पुण्य प्रदान करते हैं बल्कि मनुष्य को अपने वास्तविक स्वभाव—शुद्ध आत्मा—से जोड़ते हैं। मोक्षदा एकादशी हमें सिखाती है कि मोक्ष केवल मृत्यु के बाद नहीं, बल्कि सही कर्म, सही विचार और सही जीवनशैली से यहीं जीवन में प्राप्त किया जा सकता है।
अतः, यदि श्रद्धा और निष्ठा से इस व्रत का पालन किया जाए तो यह जीवन में शांति संतुलन, समृद्धि और आध्यात्मिक तेज को बढ़ाकर मोक्ष मार्ग को सरल और सुगम बनाता है।