Stock Share Market Crash

Stock Share Market Crash 4.5%: ,शेयर मार्केट में भारी गिरावट से निवेशक हुए चिंतित

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भारतीय शेयर मार्केट में भारी गिरावट से प्रभावित हुए निवेशक और सेंसेक्स में भारी गिरावट

Stock Share Market Crash

10 जनवरी 2025 को भारतीय शेयर बाजार में भारी मात्रा में गिरावट देखने को मिली है जिससे निवेशकों और विशेषज्ञों के बीच खामोशी छा गई है इस गिरावट के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं जैसे घरेलू कारण या फिर अंतरराष्ट्रीय कारण. कुछ ऐसे कारण जिसे भारतीय शेयर मार्केट प्रभावित हुई है.

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शेयर बाजार की वर्तमान स्थिति

सेंसेक्स और निफ्टी की गिरावट

* सेंसेक्स में गिरावट- 3500 अंकों की गिरावट के साथ सेंसेक्स 62,000 के स्तर से नीचे चला गया है जो कि भारतीय शेयर मार्केट में एक चिंता का विषय है.

* निफ्टी में गिरावट- यह 18,000 के स्तर से नीचे गिरकर 17,200 पर बंद हुआ जो शेयर मार्केट में निवेश करने वालों के लिए एक बहुत बड़ा झटका है. Click here

गिरावट से बड़ी कंपनियों पर पड़ने वाला असर

* आईटी और टेक्नोलॉजी वाले क्षेत्र- इससे टीसीएस, विप्रो और इन्फोसिस जैसे बड़े आईटी शेयरों में 6 से 8% की गिरावट हुई है.

* बैंकिंग क्षेत्र- इससे आइसीआइसीआइ बैंक, एचडीएफसी बैंक, और एसबीआई बैंक के शेयरों में 4 -5 % की गिरावट हुई है.

* ऑटोमोबाइल और एनर्जी सेक्टर- इस क्षेत्र से जुड़े टाटा मोटर्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर्स में भी गिरावट दर्ज की गई है जिससे बाजार बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है.

गिरावट के कुछ प्रमुख कारण

1. वैश्विक आर्थिक अस्थिरता

* अंतरराष्ट्रीय बाजार में मंदी का होना- इस मंदी से भारतीय शेयर बाजार के साथ-साथ वैश्विक बाजार भी प्रभावित हुआ है जैसे यूरोप और अमेरिका के शेयर बाजार में प्रभावित हुए हैं.

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* वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा- कोविद-19 के दौर में चीन के अंदर आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह प्रभावित हुई थी उसका असर वैश्विक स्तर पर बहुत ज्यादा देखने को मिला था जिससे कि वैश्विक बाजार पर बहुत ज्यादा इसका नकारात्मक असर पड़ा था.

2. कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होना

* कच्चे तेल की कीमतें- पिछले सप्ताह में कच्चे तेल की कीमतों में 10% की वृद्धि हुई है जिसे तेल आयात करने वाले देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है.

* महंगाई का बढ़ता दबाव- लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों से महंगाई का बढ़ना निश्चित हो जाता है जो भारत की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है.

3. मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में वृद्धि की आशंका

* मुद्रास्फीति दर- पिछले वर्ष 2024 में दिसंबर महीने में मुंद्रा स्पीति दर 7% तक पहुंच गई थी जो कि पिछले 6 महीनो में सर्वाधिक थी.

•भारतीय रिजर्व बैंक- आगामी मौद्रिक नीति की समीक्षा के तहत रिजर्व बैंक के द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने की संभावना जताई जा रही है जिस कारण निवेशकों की चिंता और ज्यादा बढ़ गई है. Read more…

4. भू राजनीतिक प्रभाव एवं तनाव

• यूरोप और रूस के बीच बढ़ता तनाव- यूरोप और रूस के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

•अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर असर- इन सब तनावों के रहते अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी काफी गिरावट देखने को मिली है जिससे भारत का निर्यात भी प्रभावित हुआ है.

5. तकनीकी कारण

•हाई फ्रीक्वेंसी के साथ ट्रेडिंग- कंप्यूटर आधारित ट्रेडिंग में अचानक बदलाव से अंतरराष्ट्रीय बाजार प्रभावित हुआ है.

* लगातार बढ़ रहे साइबर हमले की आशंका- लगातार चल रही की अफवाह के बीच साइबर हमले की खबरें भी सामने आती है जिससे बड़ी-बड़ी कंपनियां प्रभावित हुई है जिस कारण निवेश करने वाले डरे हुए हैं.

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6.अर्थशास्त्रियों की राय

* दीर्घकालिक निवेश का महत्व- इसमें बड़े अर्थशास्त्रियों का मानना है कि निवेश दीर्घकालिक होना चाहिए उनका मानना है कि गिरावट अल्पकालिक हो सकती है दीर्घकालिक नहीं.

* विविधीकरण की सलाह- निवेशकों को सलाह दी जाती है कि अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग क्षेत्र में विभाजित करें ताकि बढ़ रहे तनाव को कम किया जा सके.

•पेशेवरों की सलाह- हमेशा वित्तीय सलाहकारों से परामर्श लेने की आवश्यकता पर जोर दिया जाता रहा है ताकि निवेश करने को लेकर सही रणनीति और दिशा मिल सके.

7.सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की मुख्य भूमिका

•विनियामक कदम- भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तात्कालिक कदम उठाने की घोषणा की है.

* आर्थिक पैकेज- इसको लेकर सरकार जल्द ही आर्थिक पैकेज की घोषणा कर सकती है ताकि बाजार में स्थिरता लाई जा सके और निवेशकों में बढ़ रही है स्थिरता को बहाल किया जा सके.

निष्कर्ष
10 जनवरी 2025 को भारतीय शेयर मार्केट में भारी मात्रा मे गिरावट दर्ज की गई है जिससे निवेशक और अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है हालांकि है गिरावट अस्थाई हो सकती है.

इस अस्थिरता से निपटने के लिए निवेशकों को दीर्घकालिक नीतियां अपनाना चाहिए और निवेश करने के लिए विशेषज्ञों की राय लेना चाहिए जिससे उनको एक सही दिशा निर्देश मिल सके.

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