Bula Choudhury के घर से 150 से अधिक पदक और Padma Shri ब्रूच चोरी : पूरी घटना, जांच, असर और बड़ा खुलासा
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Toggleभारत के खेल इतिहास में जब भी महान तैराकों की चर्चा होती है, तो एक नाम हमेशा सबसे ऊपर आता है – बुला चौधरी (Bula Choudhury)। उन्होंने न केवल देश का नाम रोशन किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारतीय खेल जगत की प्रतिष्ठा को ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
परंतु हाल ही में एक बेहद दुखद घटना घटी जिसने पूरे देश को झकझोर दिया – Bula Choudhury के घर से 150 से अधिक पदक और Padma Shri ब्रूच चोरी हो गई।

यह केवल एक चोरी की वारदात नहीं थी, बल्कि भारतीय खेल इतिहास की धरोहर पर सीधा प्रहार था। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर हम अपने खिलाड़ियों की उपलब्धियों और उनके जीवनभर की मेहनत को कितनी सुरक्षित रख पा रहे हैं।
कौन हैं Bula Choudhury?
पश्चिम बंगाल की रहने वाली बुला चौधरी का जन्म 1969 में हुआ।
उन्हें बचपन से ही तैराकी का शौक था और 10 साल की उम्र से उन्होंने प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया।
उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 150 से भी अधिक पदक जीते।
उन्हें “Queen of the Seas” कहा जाता है क्योंकि वे अंग्रेज़ी चैनल को दो बार पार करने वाली चुनिंदा महिलाओं में शामिल हैं।
भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री, और तेनजिंग नोर्गे पुरस्कार से सम्मानित किया।
चोरी की घटना – कब और कहाँ हुई?
हाल ही में पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले स्थित उनके पुश्तैनी घर में यह चोरी हुई। यह घर हिंदमोटर क्षेत्र में स्थित है और लंबे समय से सुरक्षित नहीं था।
चोर घर में घुसे और अलमारियों, ट्रॉफी-कैबिनेट तथा स्मृति-चिह्नों को निशाना बनाया।
Bula Choudhury के घर से 150 से अधिक पदक और Padma Shri ब्रूच चोरी हो गए।
यही नहीं, चोरों ने घर के नल, वॉशबेसिन और अन्य फिटिंग्स तक निकाल लिए।
चोरी गए पुरस्कार और सामग्री
इस चोरी में जिन वस्तुओं को ले जाया गया, उनमें शामिल हैं –
1. पद्मश्री का ब्रूच – सबसे अहम और प्रतीकात्मक वस्तु।
- SAF गेम्स के छह स्वर्ण पदक।
- राष्ट्रीय स्तर के सैकड़ों पदक और ट्रॉफियाँ।
- विदेशी प्रतियोगिताओं में जीते गए पदक।
- घर की अन्य वस्तुएँ – नल, वॉशबेसिन आदि।
दुख की बात यह रही कि ये सभी वस्तुएँ न केवल आर्थिक रूप से कीमती थीं बल्कि भावनात्मक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अमूल्य थीं।
पुलिस और CID की जांच
घटना की जानकारी मिलते ही उत्तरपारा पुलिस थाना में मामला दर्ज किया गया। बाद में CID को भी जांच में शामिल किया गया।
फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से फिंगरप्रिंट और अन्य साक्ष्य जुटाए।
CCTV कैमरे से भी कुछ सुराग मिले, लेकिन चोरों ने पहले ही कैमरों को ढकने की कोशिश की थी।
पड़ोसियों से पूछताछ की गई और संदिग्धों पर नजर रखी गई।
यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यह चौथी बार है जब बुला चौधरी के घर में चोरी हुई।
भावनात्मक आघात
बुला चौधरी ने कहा –
“चोर मेरे जीवन की पूरी कमाई ले गए।”
उनके लिए ये पदक और ट्रॉफियाँ केवल धातु के टुकड़े नहीं थे, बल्कि उनकी मेहनत, संघर्ष और देश के लिए किए गए त्याग का प्रतीक थे। परिवार के लिए यह सदमा असहनीय रहा।
क्यों खास है यह चोरी?
इस घटना की गूंज पूरे देश में सुनाई दी क्योंकि –
- राष्ट्रीय धरोहर का नुकसान हुआ।
- खिलाड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे।
- सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी पर बहस छिड़ी।
- यह घटना खेल प्रेमियों की भावनाओं से गहराई से जुड़ गई।
मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे बेहद शर्मनाक बताया।
ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #JusticeForBula ट्रेंड करने लगा।
खेल जगत की हस्तियों ने भी सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील की।
सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत
इस घटना के बाद यह सवाल और भी अहम हो गया कि क्या हमारे खिलाड़ी और उनकी उपलब्धियाँ सुरक्षित हैं?
खिलाड़ियों के पुरस्कारों और ट्रॉफियों के लिए सुरक्षित स्पोर्ट्स म्यूज़ियम बनाए जाएँ।
CCTV और सिक्योरिटी गार्ड्स की व्यवस्था हो।
सरकार को ऐसे खिलाड़ियों को आजीवन सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए।

Bula Choudhury का खेल जीवन – गौरव गाथा
1986 के Asian Games में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया।
1989 में पहली बार और 1999 में दूसरी बार English Channel पार किया।
उन्होंने हिंद महासागर, पनाम, जिब्राल्टर, टॉरेस स्ट्रेट जैसे समुद्रों में भी तैराकी कर विश्व रिकॉर्ड बनाए।
बंगाल की यह बेटी हमेशा भारत की शान बनी रही।
इसलिए Bula Choudhury के घर से 150 से अधिक पदक और Padma Shri ब्रूच चोरी केवल एक निजी नुकसान नहीं, बल्कि राष्ट्र का भी नुकसान है।
निष्कर्ष
Bula Choudhury के घर से 150 से अधिक पदक और Padma Shri ब्रूच चोरी की घटना केवल एक साधारण आपराधिक वारदात नहीं है। यह भारतीय खेल संस्कृति, खिलाड़ियों की उपलब्धियों और समाज के नैतिक मूल्यों पर गहरा सवाल खड़ा करती है।
जब कोई खिलाड़ी अपनी जिंदगी का हर पल मेहनत, संघर्ष और अनुशासन में लगाकर देश का नाम ऊँचा करता है, तो उसकी उपलब्धियाँ केवल धातु के पदक या काँच की ट्रॉफी नहीं होतीं – वे उसकी आत्मा, उसकी पहचान और उसकी जीवन-गाथा का मूर्त रूप होती हैं।
1. व्यक्तिगत और भावनात्मक क्षति
बुला चौधरी जैसी महान खिलाड़ी के लिए यह पदक और ट्रॉफियाँ उनकी आत्मकथा के पन्ने थे। हर पदक उनके संघर्ष की याद दिलाता था – ठंडे समुद्रों में घंटों तक तैरना, चोट और थकान से लड़ना, प्रतियोगिताओं में हार-जीत का सामना करना।
जब चोरों ने इन्हें चुरा लिया, तो उन्होंने केवल धातु और ग्लास नहीं छीना, बल्कि एक खिलाड़ी की पूरी जीवन यात्रा से जुड़ी भावनाएँ और स्मृतियाँ भी छीन लीं।
2. राष्ट्रीय धरोहर का नुकसान
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने खिलाड़ियों की उपलब्धियों को पर्याप्त सम्मान और सुरक्षा दे पा रहे हैं। बुला चौधरी के पदक केवल उनका निजी गौरव नहीं थे, बल्कि वे भारत के खेल इतिहास का हिस्सा थे।
हर स्वर्ण पदक, हर ट्रॉफी देश की उस गौरवमयी यात्रा का प्रतीक था जिसने भारत को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया। उनकी चोरी हमारे लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक क्षति है।
3. समाज और प्रशासन की भूमिका
यह भी सोचना होगा कि ऐसी घटनाएँ बार-बार क्यों हो रही हैं। यह चौथी बार है जब उनके घर में चोरी हुई। इससे साफ है कि प्रशासनिक लापरवाही और सुरक्षा में कमी रही।
खिलाड़ियों को सम्मानित करना जितना जरूरी है, उनकी उपलब्धियों और धरोहर की सुरक्षा करना उतना ही आवश्यक है। सरकार को चाहिए कि वे ऐसे दिग्गज खिलाड़ियों के पुरस्कारों और स्मृति चिह्नों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष संग्रहालय या राष्ट्रीय खेल अभिलेखागार (National Sports Archives) तैयार करे।
4. समाज को संदेश
यह घटना हम सभी के लिए भी सबक है। हमें यह समझना होगा कि खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे समाज की संपत्ति हैं।
जब हम किसी खिलाड़ी की जीत पर तिरंगा लहराता देख गर्व महसूस करते हैं, तो हमें उनकी मेहनत की निशानियों को भी उतनी ही जिम्मेदारी से सुरक्षित रखना चाहिए।
5. खिलाड़ियों का मनोबल और भविष्य
यदि हम अपने खिलाड़ियों की मेहनत और गौरव को सुरक्षित नहीं रखेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरणा कहाँ से लेंगी? बुला चौधरी जैसी हस्तियों की कहानियाँ और उनके पुरस्कार ही भविष्य के खिलाड़ियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस देते हैं। यदि ये धरोहरें सुरक्षित नहीं रहेंगी, तो यह न केवल अतीत का नुकसान होगा, बल्कि भविष्य के लिए भी प्रेरणा की कमी होगी।
6. आगे का रास्ता
इस घटना के बाद हमें तुरंत कुछ कदम उठाने चाहिए:
- खिलाड़ियों के पुरस्कार और ट्रॉफियों को सरकारी संरक्षण में संग्रहालयों में सुरक्षित करना।
- खिलाड़ियों को आजीवन सुरक्षा और सुविधाएँ देना।
- स्थानीय प्रशासन को ऐसी घटनाओं पर सख्त और त्वरित कार्रवाई करना।
- समाज में जागरूकता फैलाना कि खिलाड़ियों की धरोहर पूरे देश की धरोहर है।
अंतिम विचार
Bula Choudhury के घर से 150 से अधिक पदक और Padma Shri ब्रूच चोरी की घटना हमें यह चेतावनी देती है कि अगर हमने अभी से अपने खिलाड़ियों की उपलब्धियों को सुरक्षित नहीं किया, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा।
बुला चौधरी ने समुद्र की लहरों से लड़कर भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया, लेकिन अपने ही घर की दीवारें उनकी स्मृतियों की रक्षा न कर सकीं।
यह घटना केवल एक खिलाड़ी के जीवन की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे राष्ट्र के आत्मसम्मान पर चोट है। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हमारे खिलाड़ी और उनकी धरोहरें पूरी तरह सुरक्षित रहेंगी।
तभी हम यह कह पाएँगे कि हमने न केवल उनके खेल को सराहा, बल्कि उनके जीवन की गाथा को भी आने वाली पीढ़ियों तक सहेजकर पहुँचाया।
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