DAC का बड़ा फैसला! T-90 टैंक, Varunastra टॉरपीडो और AEW&C सिस्टम होंगे और मजबूत!
भारत की रक्षा क्षमता को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 20 मार्च 2025 को 54,000 करोड़ रुपये से अधिक के आठ पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों (Capital Acquisition Proposals) को मंजूरी दी। इन प्रस्तावों का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों की युद्धक शक्ति और रणनीतिक क्षमता को बढ़ाना है।
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Toggleइस निर्णय में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए कई महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय में सुधारों को गति देने के लिए नए दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं, जिससे रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण अधिग्रहण
T-90 टैंकों के इंजन का उन्नयन – युद्ध क्षेत्र में बढ़ेगी ताकत
भारतीय सेना के T-90 टैंकों के लिए 1350 हॉर्सपावर (HP) इंजन की खरीद को मंजूरी दी गई है। वर्तमान में 1000 HP इंजन का उपयोग किया जाता है, लेकिन नए इंजन के आने से टैंकों की गतिशीलता और शक्ति में भारी सुधार होगा।
T-90 टैंकों में नए इंजन लगाने के क्या फायदे होंगे?
1. बेहतर पावर-टू-वेट अनुपात – टैंक की गति और शक्ति में वृद्धि होगी।
2. उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में ऑपरेशन क्षमता में सुधार – लद्दाख और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक प्रभावी संचालन संभव होगा।
3. रणनीतिक तैनाती की गति बढ़ेगी – युद्ध के दौरान तेजी से तैनाती और प्रभावी जवाबी कार्रवाई की क्षमता बढ़ेगी।
T-90 टैंक पहले से ही भारतीय सेना के सबसे घातक और अत्याधुनिक युद्धक वाहनों में से एक हैं। इंजन अपग्रेड के बाद, वे और भी घातक बन जाएंगे।
भारतीय नौसेना के लिए नई ताकत – वरुणास्त्र टॉरपीडो का अधिग्रहण
वरुणास्त्र टॉरपीडो – भारत का स्वदेशी पनडुब्बी शिकारी
भारतीय नौसेना के लिए वरुणास्त्र टॉरपीडो की अतिरिक्त मात्रा खरीदने को मंजूरी दी गई है। यह स्वदेशी रूप से विकसित जहाज-लॉन्च एंटी-सबमरीन टॉरपीडो है, जिसे नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL) द्वारा विकसित किया गया है।
वरुणास्त्र टॉरपीडो की प्रमुख विशेषताएं:
1. पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) में अत्यधिक प्रभावी – यह दुश्मन की पनडुब्बियों को आसानी से निशाना बना सकता है।
2. तेज गति और लंबी दूरी की क्षमता – यह गहरे समुद्र में भी उच्च गति से निशाना साध सकता है।
3. उन्नत मार्गदर्शन प्रणाली – इसमें हाई-एंड सोनार और ट्रैकिंग सिस्टम हैं, जो इसे अधिक सटीक बनाते हैं।
नौसेना को क्या फायदा होगा?
दुश्मन की पनडुब्बियों के खिलाफ सटीक और विध्वंसक कार्रवाई संभव होगी।
भारत की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक बढ़त में वृद्धि होगी।
स्वदेशी निर्माण से आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी बढ़ावा मिलेगा।

भारतीय वायुसेना के लिए नया गेम चेंजर – AEW&C एयरक्राफ्ट सिस्टम
AEW&C सिस्टम – भारतीय वायुसेना की आंखें और कान
भारतीय वायुसेना के लिए एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) सिस्टम की खरीद को मंजूरी दी गई है। यह एक हवाई निगरानी और नियंत्रण प्रणाली है, जो युद्धक्षेत्र की पूरी तस्वीर उपलब्ध कराती है।
AEW&C सिस्टम के फायदे:
1. 360 डिग्री निगरानी क्षमता – युद्ध के मैदान में दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को जल्दी पकड़ सकता है।
2. समन्वित युद्ध रणनीति – अन्य वायु और जमीनी सैन्य इकाइयों को सटीक निर्देश दे सकता है।
3. बड़े क्षेत्र की सुरक्षा – लंबी दूरी से दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है।
वायुसेना को कैसे मदद मिलेगी?
भारतीय वायुसेना की रणनीतिक और आक्रामक क्षमताओं में भारी बढ़ोतरी होगी।
दुश्मन के हवाई हमलों को रोकने में सहायता करेगा।
भारतीय वायुसेना की संपूर्ण लड़ाकू शक्ति को बढ़ाएगा।
रक्षा मंत्रालय में सुधार – तेज होगी रक्षा खरीद प्रक्रिया
2025 – ‘सुधार वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय
रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 2025 को ‘सुधार वर्ष’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। इसके तहत, रक्षा खरीद प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की गई हैं।
इन सुधारों से क्या लाभ होगा?
1. अधिग्रहण प्रक्रिया तेज होगी – नई प्रणाली से निर्णय लेने की गति बढ़ेगी।
2. अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही – भ्रष्टाचार और देरी को रोका जा सकेगा।
3. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा – स्वदेशी उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी।
रक्षा सुधारों के प्रमुख बिंदु:
अधिग्रहण प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में समय सीमा कम की जाएगी।
निर्णय लेने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स को रक्षा उत्पादन में अधिक अवसर मिलेंगे।
भारत की रक्षा शक्ति में ऐतिहासिक बढ़ोतरी – भविष्य की सुरक्षा रणनीति और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) द्वारा 54,000 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी देने से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की युद्धक क्षमताओं में एक नया अध्याय जुड़ गया है। इस फैसले से रणनीतिक शक्ति, स्वदेशी रक्षा निर्माण, और आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई गति मिलेगी।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह कदम भारत को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार कर सकेगा? क्या भारत की रक्षा तकनीक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन पाएगी? इन सवालों का जवाब समझने के लिए हमें भारतीय रक्षा क्षेत्र में चल रहे व्यापक सुधारों, आत्मनिर्भरता की दिशा में हो रहे प्रयासों और भविष्य की रणनीतियों पर ध्यान देना होगा।
T-90 टैंकों की भविष्य की सुरक्षा रणनीति – भारत की नई युद्ध नीति
1. अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों की खरीद और उन्नयन
आज के आधुनिक युद्ध केवल सैनिकों की संख्या पर निर्भर नहीं करते, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता और युद्धक रणनीति पर निर्भर करते हैं। यही कारण है कि भारतीय सेना को आधुनिकतम हथियारों और प्रणालियों से लैस करना रक्षा नीति की प्राथमिकता बन चुका है।
T-90 टैंकों का इंजन अपग्रेड भारतीय सेना को पहाड़ी और कठिन इलाकों में अधिक गति और युद्ध क्षमता देगा।
AEW&C सिस्टम वायुसेना की सतर्कता और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाएगा।
वरुणास्त्र टॉरपीडो नौसेना को समुद्री युद्धों में बढ़त दिलाएगा।
2. भविष्य के खतरों के लिए तैयार रणनीति
भारत को दो प्रमुख मोर्चों पर संभावित खतरे हैं –
- पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान से आतंकवादी और पारंपरिक युद्ध का खतरा।

2. उत्तरी सीमा पर चीन से तकनीकी और सैन्य वर्चस्व की चुनौती।
इस चुनौती को देखते हुए भारतीय सैन्य बलों को तेजी से आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
3. साइबर और स्पेस वारफेयर – नई लड़ाई का मैदान
आने वाले दशकों में युद्ध केवल ज़मीन, हवा और समुद्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि साइबर और अंतरिक्ष (Space Warfare) युद्ध भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
DRDO और ISRO के संयुक्त प्रयासों से भारत अंतरिक्ष रक्षा प्रणालियों को विकसित करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए विशेष रक्षा इकाइयों का गठन किया जा रहा है, जिससे हैकिंग और साइबर हमलों को रोका जा सके।
T-90 टैंकों के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान और रक्षा उत्पादन में क्रांति
1. T-90 टैंकों के लिए स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा
रक्षा अधिग्रहण परिषद का यह फैसला केवल आयात पर निर्भरता घटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना भी है।
T-90 टैंकों के लिए 1350 HP इंजन भारत में ही विकसित किया जाएगा।
वरुणास्त्र टॉरपीडो भारत में बना हुआ स्वदेशी हथियार है।
AEW&C सिस्टम में भी भारतीय तकनीक का योगदान होगा।
2. रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स की भूमिका
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स को बड़ी भूमिका देने का फैसला किया है। इसका सीधा लाभ यह होगा कि रक्षा तकनीक का तेजी से विकास होगा और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी।
HAL, DRDO, BEL जैसी कंपनियों के साथ-साथ निजी कंपनियों को भी बड़े रक्षा अनुबंध दिए जा रहे हैं।
रक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए FDI (Foreign Direct Investment) की सीमा को भी बढ़ाया गया है।
भारत के स्टार्टअप्स अब रक्षा तकनीकों में रिसर्च और डेवलपमेंट पर काम कर रहे हैं।
3. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ – रक्षा क्षेत्र में वैश्विक पहचान
भारत अब केवल अपने लिए रक्षा उपकरण बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि वैश्विक रक्षा निर्यातक बनना चाहता है।
भारत तेजस फाइटर जेट, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम और ध्रुव हेलीकॉप्टर जैसे उपकरणों का निर्यात कर रहा है।
2024-25 में भारत का रक्षा निर्यात 20,000 करोड़ रुपये से अधिक पहुंचने की संभावना है।
भारत अब अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के कई देशों को सैन्य उपकरण निर्यात कर रहा है।
T-90 टैंकों के लिए रक्षा सुधारों की दिशा में बड़ा कदम
1. रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और तेज बनाना
रक्षा मंत्रालय ने पूंजी अधिग्रहण प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की हैं।
अधिग्रहण की समय सीमा कम की जाएगी ताकि सेना को जल्दी से नए हथियार मिल सकें।
‘Fast Track Procurement’ (FTP) नीति के तहत आवश्यक हथियारों की तुरंत खरीद हो सकेगी।
रक्षा अधिग्रहण में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नई डिजिटल प्रणाली लागू की जाएगी।
2. ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग बढ़ाना
आधुनिक युद्धों में ड्रोन और AI का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
भारतीय सेना स्वदेशी ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित कर रही है।
AI आधारित बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम लगाए जा रहे हैं, जिससे घुसपैठियों की पहचान और रोकथाम की जा सके।
स्वदेशी ड्रोन सिस्टम का उपयोग आतंकवाद विरोधी अभियानों में किया जाएगा।
भारत की सैन्य शक्ति को मिलेगा नया आयाम
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) के इस निर्णय से भारत की सैन्य क्षमताओं में ऐतिहासिक बढ़ोतरी होगी। यह न केवल सेना, नौसेना और वायुसेना की शक्ति को मजबूत करेगा, बल्कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देगा।
T-90 टैंकों के लिए भविष्य में भारत की रक्षा रणनीति की प्रमुख विशेषताएं:
1. तकनीकी श्रेष्ठता – उन्नत सैन्य उपकरण और स्वदेशी रक्षा उत्पादन।
2. रणनीतिक बढ़त – सीमाओं पर आधुनिक युद्ध प्रणाली और निगरानी।
3. वैश्विक पहचान – रक्षा उपकरणों का निर्यात और अंतरराष्ट्रीय सहयोग।
4. आत्मनिर्भरता – स्वदेशी कंपनियों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा।
5. तेजी से निर्णय – रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में सुधार।
यह निर्णय न केवल भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करेगा, बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा। आने वाले वर्षों में भारत की सैन्य शक्ति पहले से कहीं अधिक मजबूत और प्रभावशाली होगी।
निष्कर्ष – T-90 टैंकों के लिए भारत की रक्षा शक्ति को मिलेगी नई ऊंचाई
रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा 54,000 करोड़ रुपये से अधिक की स्वीकृति से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना को अत्याधुनिक उपकरण मिलेंगे।
T-90 टैंकों के लिए मुख्य बिंदु:
T-90 टैंकों के इंजन अपग्रेड से भारतीय सेना की ताकत बढ़ेगी।
वरुणास्त्र टॉरपीडो से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी शक्ति मजबूत होगी।
AEW&C सिस्टम से भारतीय वायुसेना की हवाई सुरक्षा में बड़ा सुधार होगा।
रक्षा मंत्रालय में सुधारों से अधिग्रहण प्रक्रिया तेज और पारदर्शी बनेगी।
T-90 टैंकों के लिए भारत की रक्षा नीति अब अधिक आक्रामक और आत्मनिर्भर हो रही है। यह निर्णय भारतीय सेना को और अधिक घातक, कुशल और आधुनिक बनाएगा, जिससे भारत की सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति वैश्विक स्तर पर और मजबूत होगी।
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