Rajiv shukla का पुनः आगमन: क्या बदलेगा BCCI का चेहरा?
परिचय
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ToggleRajeev Shukla, भारत में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जो एक से अधिक क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ते हैं। राजीव शुक्ला एक ऐसे ही व्यक्ति हैं जिन्होंने पत्रकारिता, राजनीति और खेल प्रशासन – तीनों क्षेत्रों में खुद को सिद्ध किया है।
आज जब वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अगले अध्यक्ष बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं, तब उनके जीवन और करियर को जानना बेहद जरूरी हो जाता है।
बचपन और शिक्षा: कानपुर से सफर की शुरुआत
राजीव शुक्ला का जन्म 13 सितंबर 1959 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ। एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे शुक्ला बचपन से ही जिज्ञासु और अध्ययनशील थे।
उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की और यहीं से उनकी वैचारिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण का विकास हुआ।
पत्रकारिता की पृष्ठभूमि: सच्चाई से टकराना
राजीव शुक्ला ने अपने करियर की शुरुआत पत्रकारिता से की। शुरुआत में उन्होंने ‘रविवार’ नामक साप्ताहिक पत्रिका में काम किया और अपने खोजी स्वभाव के कारण जल्दी ही चर्चित हो गए।
उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह के भूमि घोटालों से संबंधित रिपोर्ट्स को उजागर किया, जिससे उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली।
बाद में उन्होंने प्रतिष्ठित समाचार पत्रों जैसे ‘द स्टेट्समैन’, ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’, और ‘द पायनियर’ में भी लेखन किया। उनकी भाषा शैली, राजनीतिक समझ और निष्पक्ष रिपोर्टिंग ने उन्हें देश के शीर्ष पत्रकारों की श्रेणी में ला खड़ा किया।
राजनीति में प्रवेश: एक नई पारी की शुरुआत
पत्रकारिता के दौरान ही राजीव शुक्ला की मुलाकात तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से हुई। राजीव गांधी की दूरदृष्टि और प्रगतिशील सोच ने शुक्ला को प्रभावित किया और उन्होंने 1990 के दशक के उत्तरार्ध में सक्रिय राजनीति में प्रवेश कर लिया।
राज्यसभा सांसद के रूप में योगदान
साल 2000 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में नामित किया गया। इसके बाद उन्होंने कई बार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने:
मानव संसाधन विकास मंत्रालय,
सूचना और प्रसारण मंत्रालय,
संसदीय कार्य मंत्रालय
जैसे विभागों में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
उनकी विशेषता थी बैकग्राउंड में रहकर काम करना। वे उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जो विवादों से दूर रहकर प्रभावी भूमिका निभाते रहे।

खेल प्रशासन में कदम: BCCI और IPL के साथ रिश्ता
IPL के चेयरमैन
2009 में उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का चेयरमैन बनाया गया। उस समय IPL नया था और स्पॉट फिक्सिंग जैसे मुद्दे उभर रहे थे। शुक्ला ने बड़ी समझदारी और सूझबूझ से लीग की साख को बनाए रखा और इसे ग्लोबल ब्रांड में बदलने में योगदान दिया।
BCCI के उपाध्यक्ष
2020 में वे BCCI के उपाध्यक्ष बने। उस दौरान COVID-19 महामारी के कारण क्रिकेट पर संकट था, लेकिन उनके प्रशासनिक कौशल ने बोर्ड को व्यवस्थित बनाए रखा। उन्होंने घरेलू क्रिकेट को मजबूती देने और महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने जैसे कई अहम निर्णयों में भाग लिया।
ACC (एशियाई क्रिकेट परिषद) में भूमिका
2025 की शुरुआत में उन्हें एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) के कार्यकारी बोर्ड सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया।
यह जिम्मेदारी उन्हें जय शाह के ICC अध्यक्ष बनने के बाद मिली। इससे भारत की क्षेत्रीय क्रिकेट राजनीति में पकड़ और मजबूत हुई।
विवादों से निपटने का हुनर
Rajeev Shukla का नाम कुछ अवसरों पर विवादों में जरूर आया, लेकिन उन्होंने कभी भी कोई सार्वजनिक टकराव नहीं किया। 2013 के IPL स्पॉट फिक्सिंग कांड के दौरान उन्होंने IPL चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर नैतिक जिम्मेदारी निभाई, हालांकि उनकी भूमिका सीधे उस प्रकरण से जुड़ी नहीं थी।
पारिवारिक जीवन
Rajeev Shukla की पत्नी अनुराधा प्रसाद एक जानी-मानी पत्रकार और BAG Films and Media Ltd. की संस्थापक और CEO हैं। उनके भाई हैं रवि शंकर प्रसाद, जो बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि उनका पारिवारिक जीवन मीडिया और राजनीति दोनों के समीप है।
BCCI अध्यक्ष पद की दौड़: क्यों सबसे आगे हैं Rajeev Shukla?
2025 में जब BCCI अध्यक्ष पद के लिए नाम सामने आने लगे, तो Rajeev Shukla का नाम सबसे प्रमुख बनकर उभरा। इसके पीछे कई कारण हैं:
1. राजनीतिक संतुलन: वे कांग्रेस से हैं, जबकि BCCI में अब तक भाजपा से जुड़े लोग हावी रहे हैं। इसलिए सत्ता में संतुलन लाने की संभावना।
2. अनुभव: IPL और BCCI में वर्षों के अनुभव ने उन्हें विश्वसनीय प्रशासक बनाया है।
3. संपर्क और संवाद: खेल, राजनीति और मीडिया तीनों क्षेत्रों में उनकी गहरी पकड़ है।
4. राजनीति से दूरी: BCCI के वर्तमान दृष्टिकोण के अनुसार प्रशासनिक पदों पर कम राजनीतिक चेहरा चाहिये, और Rajeev Shukla एक ‘नॉन-कांफ्रंटेशनल’ नेता के रूप में फिट बैठते हैं।
आलोचना: सेवा काल और लोढ़ा समिति की सिफारिशें
बीसीसीआई सुधारों के तहत लोढ़ा समिति ने सुझाव दिया था कि कोई भी पदाधिकारी लगातार तीन कार्यकाल से अधिक सेवा न करे। हालांकि, इस पर अमल में ढील दी गई और Rajeev Shukla जैसे अनुभवी लोगों को फिर से आने का मौका मिला।
कुछ आलोचकों का मानना है कि इससे युवाओं को मौका नहीं मिल रहा, लेकिन बीसीसीआई का मानना है कि अनुभवी प्रशासकों की जरूरत अब भी है।
क्रिकेट से बड़ा सोचने वाला प्रशासक
Rajeev Shukla को केवल क्रिकेट प्रेमी या प्रशासक नहीं, बल्कि “क्रिकेट कूटनीति” के मास्टर” के रूप में देखा जाता है।
पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे देशों के साथ क्रिकेट संबंधों को संभालना, सरकार से समन्वय बनाना और मीडिया मैनेजमेंट – ये सभी काम वह कुशलता से करते आए हैं।
भारतीय क्रिकेट में Rajeev Shukla की रणनीतिक भूमिका
जब भी भारतीय क्रिकेट में राजनीतिक हस्तक्षेप की बात होती है, तो Rajeev Shukla का नाम संतुलन और चतुर रणनीति के प्रतीक के रूप में सामने आता है। वे उन चुनिंदा प्रशासकों में शामिल हैं, जिन्होंने मैदान के बाहर खेल को दिशा दी।
1. खिलाड़ियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध
Rajeev Shukla को खिलाड़ियों के साथ संबंध बनाने की कला में महारत हासिल है। चाहे महेंद्र सिंह धोनी हों या रोहित शर्मा, उन्होंने कभी भी प्रशासक और खिलाड़ी के बीच दूरी नहीं आने दी।
खिलाड़ियों की समस्याओं को समझना, उन्हें मानसिक रूप से मजबूत रखना, और उनके करियर को बिना हस्तक्षेप के बढ़ावा देना – यही उनकी विशेषता रही।
2. घरेलू क्रिकेट को बढ़ावा
BCCI के उपाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने रणजी ट्रॉफी, विजय हज़ारे ट्रॉफी और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जैसे घरेलू टूर्नामेंट को नई पहचान दिलाई। उनके कार्यकाल में ज़ोनल क्रिकेट को बढ़ावा मिला और छोटे शहरों के खिलाड़ियों को अवसर मिले।
3. महिला क्रिकेट के लिए योगदान
हाल के वर्षों में महिला क्रिकेट का कद बढ़ा है। शुक्ला ने महिला क्रिकेटरों के वेतन, सुविधाओं और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भागीदारी को प्राथमिकता दी। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि महिला IPL को औपचारिक रूप से BCCI समर्थन मिले।
BCCI की राजनीति में उनकी “ब्रिज” भूमिका
भारतीय क्रिकेट बोर्ड कई बार गुटों में बंटा रहता है – एक तरफ सत्ता पक्ष से जुड़े पदाधिकारी और दूसरी ओर पुराने, अनुभवी चेहरे। Rajeev Shukla ने हमेशा इन दोनों के बीच एक सेतु (bridge) की भूमिका निभाई है।
सत्ता में बैलेंस बनाए रखने की कला
उनकी सबसे बड़ी ताकत यह रही कि वे किसी भी राजनीतिक दल के प्रवक्ता या चेहरा नहीं बने। चाहे कांग्रेस सत्ता में रही हो या भाजपा, उन्होंने BCCI की स्वायत्तता को बनाए रखने की कोशिश की।
अंदरूनी संघर्षों को सुलझाना
BCCI में अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष आदि पदों के बीच कभी-कभी तनाव की स्थिति बनती रही है। Rajeev Shukla ने कई बार बैक चैनल डिप्लोमेसी के जरिए इन टकरावों को शांत किया।
समर्थकों और आलोचकों की नज़र में राजीव शुक्ला
हर प्रभावशाली व्यक्ति की तरह Rajeev Shukla के भी दो पहलू हैं – एक जहां उन्हें निपुण प्रशासक माना जाता है, और दूसरा जहां उन पर राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगता है।
समर्थक क्या कहते हैं?
अनुभवी प्रशासक: वे मानते हैं कि Rajeev Shukla के पास क्रिकेट की गहरी समझ और बोर्ड के ढांचे की पकड़ है।
मध्यमार्गी नेता: वे कभी किसी विवाद या उग्र बहस में नहीं पड़ते, जिससे बोर्ड की गरिमा बनी रहती है।
क्राइसिस मैनेजमेंट: IPL फिक्सिंग संकट से निपटना हो या कोविड काल की क्रिकेट रणनीति – उनका नेतृत्व सराहनीय रहा।
आलोचक क्या कहते हैं?
पुराने चेहरे का वर्चस्व: कुछ लोग मानते हैं कि BCCI को नए चेहरों की जरूरत है, और बार-बार वही लोग आना लोकतंत्र के खिलाफ है।
राजनीतिक जुड़ाव: उनके कांग्रेस से जुड़े होने को लेकर भाजपा समर्थक खेमे में मिश्रित प्रतिक्रियाएं रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की साख बढ़ाने में योगदान
Rajeev Shukla का एक बड़ा योगदान यह भी रहा कि उन्होंने भारत को वैश्विक क्रिकेट कूटनीति का केंद्र बनाया। उनके कार्यकाल में भारत ने:
ICC में अपनी वोटिंग पावर को मजबूत किया
T20 वर्ल्ड कप 2021 के आयोजन में बड़ी भूमिका निभाई
श्रीलंका, बांग्लादेश जैसे देशों में क्रिकेट विकास योजनाओं को प्रोत्साहित किया

क्रिकेट डिप्लोमेसी के प्रतीक
Rajeev Shukla को BCCI का “चाणक्य” भी कहा जाता है – वे पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट संबंधों पर भी तटस्थ लेकिन कूटनीतिक रुख अपनाते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत का रुख स्पष्ट, सुरक्षित और सम्मानजनक रहे।
भविष्य की राह: BCCI अध्यक्ष पद और उससे आगे
अध्यक्ष बनने की संभावनाएं क्यों प्रबल हैं?
1. जय शाह का ICC रुख: जय शाह अगर ICC के अध्यक्ष बनते हैं, तो BCCI को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होगी जो भारत के अंदर बोर्ड को संभाल सके। Rajeev Shukla इसके लिए सबसे उपयुक्त हैं।
2. अनुभव की आवश्यकता: विश्व कप 2026 और नए घरेलू ढांचे के निर्माण जैसे मामलों में बोर्ड को अनुभवी नेतृत्व की जरूरत है।
3. सभी खेमों में स्वीकार्यता: BCCI में किसी भी अध्यक्ष पद के लिए सबसे जरूरी बात है कि वह सभी खेमों के लिए स्वीकार्य हो — और Rajeev Shukla यही संतुलन लेकर आते हैं।
आगे की संभावनाएं
BCCI अध्यक्ष बनने के बाद वे ICC चेयरमैन पद के लिए भी दावेदारी पेश कर सकते हैं।
वे खेल मंत्रालय में विशेष सलाहकार की भूमिका भी निभा सकते हैं।
उनके अनुभव को देखते हुए, उन्हें भारतीय क्रिकेट का रणनीतिक मार्गदर्शक (Strategic Advisor) भी बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष: भारतीय क्रिकेट की नींव को संवारने वाला एक संयमी नेतृत्व
Rajeev Shukla सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट प्रशासन में स्थिरता, समझदारी और संतुलन का प्रतीक बन चुके हैं।
उन्होंने पत्रकारिता से राजनीति और फिर खेल प्रशासन तक का सफर तय करते हुए खुद को हर क्षेत्र में प्रासंगिक और प्रभावशाली बनाए रखा है।
आज जब भारतीय क्रिकेट एक नए युग में प्रवेश कर रहा है — जहाँ व्यावसायिकता, तकनीक और वैश्विक राजनीति की भूमिका बढ़ती जा रही है — ऐसे समय में राजीव शुक्ला जैसे अनुभवी और विवेकशील नेतृत्व की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक है।
वे न तो विवादों के पीछे भागते हैं, न ही सस्ती लोकप्रियता के लिए काम करते हैं। उनका काम बोलता है, और यही बात उन्हें BCCI अध्यक्ष पद के लिए सबसे उपयुक्त दावेदार बनाती है।
उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे:
खिलाड़ियों की चिंता करते हैं
बोर्ड की गरिमा बनाए रखते हैं
और भारत को वैश्विक क्रिकेट पटल पर मजबूती से स्थापित करने की दिशा में कार्य करते हैं
अगर Rajeev Shukla BCCI के अध्यक्ष बनते हैं, तो यह सिर्फ एक पद की बात नहीं होगी, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट को नया विज़न, नई ऊर्जा, और नई दिशा देने वाला निर्णय साबित होगा।
भारत को न सिर्फ अच्छे खिलाड़ी चाहिए, बल्कि ऐसे प्रशासक भी जो पारदर्शिता, तटस्थता और दूरदृष्टि के साथ आगे बढ़ें — और Rajeev Shukla इस कसौटी पर पूरी तरह खरे उतरते हैं।
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