Weather Update: दिल्ली एनसीआर में इस दिन से बढ़ सकती है ज्यादा ठंड जाने
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ToggleWeather Update के अनुसार पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 8 दिसंबर को हो सकती हैं तेज़ बारिश भारत के मौसम विभाग के बताया हैं कि
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पश्चिमी विक्षाेभ के बढ़ने से 8 दिसंबर को पश्चिमी हिमालय और उत्तर पश्चिमी इलाकों में तेज़ बारिश और हल्की बर्फ बारी होने की संभावना बताई जा रही हैं
उत्तर भारत में 10 दिसंबर से तापमान में तेज गिरावट कि सम्भवना बताई जा रही है भारत मौसम विज्ञान विभाग के 10 दिसंबर से तापमान में तेज गिरावट और कोहरा बढ़ने के संभावना है
Delhi एनसीआर के आलावा भारत के कुछ और राज्य में भी मौसम का हाल
मौसम विज्ञान विभाग ने यह भी बताया है कि दिसंबर के महीने में भारत के इन राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पुदुचेरी और कराईकल में अलग अलग स्थानों पर तेज गरज के साथ हलकी बारिश और बिजली चमकने की आसंका की और जाने

Weather Update : उत्तरी भारत के इन इलाकों में इस दिन हो सकती है तेज़ बारिश और 10 दिसंबर ठंड बढ़ने के आसार
अक्षर आपने देखा है जैसे ही सर्दियां आनी शुरू होती है तो पश्चिमी विक्षोभ आने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिससे उत्तर भारत और हिमालय के इलाकों में सर्दी बढ़ने लगती है आखिर पश्चिमी विक्षोभ क्या है
जानने की कोशिश करते है सर्दियों में आपने देखा है पहाड़ी क्षेत्रो में बारिश होना और बर्फबारी होना ही पश्चिमी विक्षोभ होता है ये सब मैदानी इलाकों में फैली ज्यादा नमी का कारण बनता है |
इसमें मेघाच्छादन की स्तिथि स्वरूप रात में तापमान का कम होना और दिन के समय तापमान का अधिक हो जाता है
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार जानने की कोशिश करते है कि पश्चिमी विक्षोभ कैसे पैदा होता है पश्चिमी विक्षोभ ऐसे तूफान होते है
जो मुख्य रूप कैस्पियन सागर या भूमध्य सागर में उत्पन्न होते है तथा भारत के उत्तर पश्चिमी इलाकों में होने वाली गैर मानसूनी बारिश के लिए जिम्मेदार होते है |
ये पश्चिमी विक्षोभी तूफान भूमध्य सागर में उत्पन्न होने वाले एक प्रकार के बहिरुष्ण उष्णकटिबंधीय तूफान होते है जो एक न्यूनतम दाब का क्षेत्र होता है तथा भारत के उत्तर पश्चिमी इलाकों में अचानक वर्षा होना, बर्फबारी होना तथा कोहरे के लिए जिम्मेदार होता है |
भारत में पश्चिमी विक्षोभ की दिशा में यह विक्षोभ पश्चिम से पूर्व की दिशा की ओर होता है
यह विक्षोभ भारत के आलावा यह विक्षोभ ईरान, अफगनिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करता है |
वेस्टरली जेट धाराओं के साथ ये विक्षोभ अधिक ऊंचाई होने पर पूर्व की ओर चलने लगती है |
पश्चिमी विक्षोभ भारत में प्रभाव कैसे डालता है जाने ?
भारत में पश्चिमी विक्षोभ का आना मुख्य रूप से उत्तरी भारत में सर्दी का बढ़ना है जिससे तेज़ बारिश और कोहरे की समस्या बनी रहती है |
यह विक्षोभ उत्तरी भारत के साथ साथ पाकिस्तान में तेज़ बारिश और कोहरे साथ आता है | इस विक्षोभ से मानसून के मौसम में भी घने बादल देखने को मिलते है जो भारी बारिश का कारण बनता है .
पश्चिमी विक्षोभ से सर्दी के मौसम में बारिश होना रबी की फसल के लिए बहुत लाभदायक होती है क्योंकि उत्तरी भारत में रबी की फसल उच्च पैमाने पर पैदा होती है |
पश्चिमी विक्षोभ का आगमन भारत में किस महीने में होता है जाने ?
कभी कभी पश्चिमी विक्षोभ अप्रैल और मई के भीषण गर्मियों के महीनों में उत्तरी महाद्वीप के क्षेत्रों में मानसून आगमन का भी संकेत देते है |यह विक्षोभ कभी कभी रूद्र रूप में देखने को मिलता है
जिससे भीषण बाढ़, भूस्खलन, धूल भरी आंधी की समस्या से प्रभावित करता है इसी के साथ कभी कभी ओला वृष्टि से भी काफी नुकसान देखने को मिलता है इसमें मौसम की स्तिथि बहुत चरम हो जाती है यह विक्षोभ मुख्य रूप से उत्तरी भारत को प्रभावित करता है |
यह पश्चिमी विक्षोभ अपने अंदर नमी भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर से प्राप्त करता है
Weather Update अगर पश्चिमी विक्षोभ लगातार बढ़ता रहा तो आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या देखने को मिल सकती है और जानने के लिए Click Here

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
भारतीय मौसम विभाग ( IMD) किस किस क्षेत्रो में काम करता है? भारतीय मौसम विभाग का उद्देश्य है
सिंचाई, विमानन, अन्वेषण, कृषि, अपतटीय तेल, नौवहन और मौसम के प्रति गतिविधियों का पता लगाना और इष्टतम संचालन के लिए वर्तमान मौसम विज्ञान विभाग से संबंधी सभी जानकारी प्रदान करता है|
मौसम विज्ञान विभाग कैसे काम करता है जाने ?
भारत में मौसम विज्ञान विभाग के तकनीकी और प्रशासनिक को नियंत्रण की सुविधा के लिए 6 केंद्र हैओर इनमे से सबसे बड़ा मौसम विज्ञान विभाग केंद्र नई दिल्ली का है.
भारत की सबसे बड़ी मौसम विज्ञान विभाग प्रयोगशाला पुणे में स्थित है मौसम विज्ञान विभाग वायुमंडल की वर्तमान स्तिथि के बारे में पता लगाता है.
सभी डेटा को एकत्रित करके और सभी वायुमंडल की प्रक्रियाओ को समझ फिर अपनी भविष्यवाणी करता है की वायुमंडल विकसित कैसे होगा Read more...
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